Begusarai Harsai Stupa : बेगूसराय की ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल गढ़पुरा अंचल के सकड़ा मौजा स्थित हरसाई स्तूप का धीरे-धीरे होता क्षरण अब गंभीर चिंता का विषय बन गया है। छह वर्ष पूर्व विकास कार्य के लिए कराई गई जमीन की मापी का प्रतिवेदन आज भी सरकारी अलमारियों में धूल फांक रहा है, और संरक्षण की पहल अब तक ठंडे बस्ते में है।
हरसाई स्तूप, जो प्रसिद्ध शक्तिपीठ जयमंगलागढ़ और रामसर साइट काबर झील पक्षी विहार के उत्तर-पूर्व कोने में स्थित है, अपनी ऐतिहासिक महत्ता के बावजूद उपेक्षा का दंश झेल रहा है। स्थानीय लोग इसकी विशाल और भयावह आकृति को देखकर इसे ‘दैत्य का छिट्टा’ भी कहते हैं।
करीब 65 फीट ऊँचे और 360 फीट व्यास वाले इस स्तूप को बौद्धकालीन अवशेषों का जीवंत नमूना माना जाता है। इतिहासकारों को पालकालीन साहित्य में भगवान बुद्ध के अंगुत्तराप भ्रमण के संकेत भी मिलते हैं, जो इसके महत्व को और मजबूत करता है।
बुद्ध के अस्थिकलश के संकेत भी मौजूद : प्रख्यात साहित्यकार महेश भारती बताते हैं कि इतिहासकारों के अनुसार गौतम बुद्ध अपने 1200 शिष्यों के साथ कभी इस क्षेत्र में ठहरे थे। ऐसा भी मानना है कि बुद्ध का आठवां अस्थिकलश इन्हीं चारों स्तूप समूहों के भीतर विद्यमान है। लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा मिट्टी की अनियंत्रित कटाई और स्तूप के टीले के व्यावसायिक उपयोग से इसका अस्तित्व खतरे में है।
पुरातात्विक अवशेष का उपेक्षित स्वरूप : देखरेख के अभाव में स्तूप का मूल स्वरूप लगातार नष्ट होता जा रहा है। आसपास भवनों के भग्नावशेष मिलते रहते हैं, जो इसके समृद्ध इतिहास की गवाही देते हैं। 2003 में जिला पुरातत्व धरोहर एवं संरक्षण परिषद द्वारा इसके महत्व को उजागर किया गया था। मंझौल से छौड़ाही अंचल के ऐजनी–परोरा तक 11 स्तूपों की खोज भी इस क्षेत्र की ऐतिहासिक संपन्नता को दर्शाती है।
सरकारी वादे अधूरे, संरक्षण अधर में : 2012 में तत्कालीन डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने हरसाई स्तूप का निरीक्षण कर संरक्षण का आश्वासन दिया था। लेकिन यह वादा भी चुनावी नारों की तरह ही फीका पड़ गया। 2014 में मुख्य संपर्क पथ से जोड़ने के लिए जमीन की मापी की गई, प्रतिवेदन विभाग को भेजा गया, किंतु निर्देशों के अभाव में कुछ भी आगे नहीं बढ़ सका।
जनप्रतिनिधियों से कार्रवाई की गुहार : गढ़पुरा नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति के राष्ट्रीय महासचिव राजीव कुमार, किसान नेता शंभुशरण शर्मा सहित क्षेत्र के कई प्रबुद्ध नागरिकों ने जिलाधिकारी और जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाए जाएं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हरसाई स्तूप का संरक्षण और संवर्धन किया जाए, तो बेगूसराय को एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में नई पहचान मिल सकती है।

