राजद से जदयू में जाने बाले विधायक का क्षेत्र वामपंथियों का गढ़ रहा है बेगूसराय का तेघड़ा विधानसभा

पोलिटिकल डेस्क : तेघड़ा विधानसभा क्षेत्र बिहार का कभी लेनिनग्राद कहा जाता था। इस विधानसभा क्षेत्र को पहले बरौनी के नाम से जाना जाता था। इसकी चौहद्दी में संपूर्ण तेघड़ा ब्लाक, बरौनी प्रखंड की बीहट पंचायत एक,दो, तीन, चार, मल्हीपुर उत्तरी और दक्षिणी,पपरौर, गढहरा एक और दो, सिमरिया एक और दो, राजवाड़ा,पिपरा देवस वे हाजीपुर पंचायत शामिल हैं।

यह विधानसभा क्षेत्र हमेशा चर्चित रहा है। वर्ष 1952 के विधानसभा चुनाव में यहां से प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी रामचरित्र सिंह चुने गए।वे डाक्टर श्रीकृष्ण सिंह के मंत्रिमंडल में बिजली सिंचाई मंत्री बने। 1957में कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया तो वे निर्दलीय खड़ा हो गए और चुनाव जीत गए। उनके बाद इस सीट पर कम्युनिस्टों का कब्जा हो गया। 1962 में रामचरित्र सिंह के पुत्र और चर्चित कम्युनिस्ट नेता चंद्रशेखर सिंह यहां से चुनाव जीते। 1967,1969 और 1972 के विधानसभा चुनाव में लगातार चुनाव जीतते रहे। वर्ष 1977 में यहां से सीपीआई के ही सूर्यनारायण सिंह एमएलए चुने गए। 1980 में सीपीआई के रामेश्वर सिंह ,1985 में सीपीआई की ही श्रीमती शंकुतला सिन्हा,1990 में शिवदानी प्रसाद सिंह और 1995 तथा 2000 तथा 2005 में राजेन्द्र प्रसाद सिंह चुने गए। इस तरह 48 बरसों तक इसपर सीपीआई का कब्जा रहा। वर्ष 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में एक अचरज भरे परिवर्तन के साथ भाजपा के ललन कुंवर ने सीपीआई के उम्मीदवार को पराजित कर कीर्तिमान कायम कर दिया। लेकिन, वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद के वीरेंद्र महतो ने वामपंथ और दक्षिणपंथ के सभी समीकरण को ध्वस्त करते हुए जीत हासिल कर ली।

और 2020 में राजद के विधायक जदयू के हो लिये वीरेंद्र महतो पिछले दिनों राजद छोड़कर जदयू में शामिल हो गए। अब इस सीट पर वीरेंद्र महतो के सीटिंग रहने से जदयू की दावेदारी भी है तो राजद की भी। महागठबंधन में सीपीआई के आने पर वह इस परंपरागत सीट को नहीं छोड़ना चाहेंगी। महागठबंधन में सीपीआई की दावेदारी यहां मजबूत मानी जाती है। एनडीए में जद यू और भाजपा में इस सीट को लेकर रस्साकस्सी हो सकती है। यहां से वर्तमान विधायक वीरेंद्र महतो फिर उतरते हैं या यह सीट जदयू भाजपा के लिए छोड़ भी सकती है। भाजपा से युवा नेता केशव शाण्डिल्य सहित आधे दर्जन नेताओं की यहां से दावेदारी तेज है। गंगा कटाव, सड़क, विस्थापन, गढहरा यार्ड,बीहट नगर परिषद आदि की समस्याएं हैं।