Sanjay Paswan Bakhri : बिहार में NDA की नई सरकार ने गठन कर लिया है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 10वीं बार शपथ ली है। उनके साथ 25 अन्य मंत्रियों ने भी राज्य मंत्रिमंडल में शामिल होकर शपथ ग्रहण किया है।
इस नए कैबिनेट में एक महत्वपूर्ण नाम संजय पासवान का भी शामिल होना चर्चा का विषय बना हुआ है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के उम्मीदवार संजय पासवान ने बेगूसराय जिले की बखरी सीट से महागठबंधन के वामपंथी चेहरे सीपीआई के सूर्यकांत पासवान को 17,318 मतों से भारी अंतर से मात दी। उन्हें कुल 98,511 मत प्राप्त हुए, जबकि सूर्यकांत पासवान को 81,193 मत मिले।
यह जीत सिर्फ चुनावी सफलता नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय और सामाजिक संघर्ष की लंबी यात्रा का प्रतीक भी है। बखरी विधानसभा क्षेत्र जिसमें दलित, वंचित, पिछड़े और गरीब वर्गों की बड़ी हिस्सेदारी है। आज़ादी के बाद से कभी भी राज्य मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व पाने में असफल रहा था।
समाज में लंबे समय से चली आ रही उपेक्षा और विकास की कमी को देखते हुए बखरी की जनता ने इस बार परिवर्तन का संदेश साफ कर दिया। कम्युनिस्ट, राजद और कांग्रेस जैसी पार्टियों का प्रभुत्व तो रहा, लेकिन विकास की बात नहीं हो सकी और इस बार LJP (रामविलास) ने वही किला तोड़कर ऐतिहासिक जीत हासिल की है।
हालांकि, लोजपा और उसके समर्थकों ने लंबे समय से यह मांग उठाई थी कि बखरी का प्रतिनिधित्व मंत्रिपरिषद में होना चाहिए। भाजपा प्रवक्ता सिधेश आर्य ने भी यह कहा था कि बखरी इस नए मंत्रिमंडल में शामिल हो, क्योंकि यह क्षेत्र अब तक वंचित रहा है।
संजय पासवान LJP-R के एक प्रमुख नेता माने जाते हैं और चिराग पासवान के नज़दीकी सहयोगी भी हैं। चुनाव के बाद पार्टियों और क्षेत्रीय नेताओं ने उन्हें मंत्री पद देने की काफी जोरदार मांग की थी, और अब वह वह मांग हकीकत में बदल गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है कि यह मंत्रिमंडल में बखरी की माँग सिर्फ राजनीतिक संतुलन नहीं है, बल्कि दलित, पिछड़े वर्गों और उपेक्षित क्षेत्रों को सशक्त रूप से जोड़ने की एक रणनीति का हिस्सा है। अब यह देखना होगा कि संजय पासवान के मंत्री बनने से बखरी और आसपास के क्षेत्रों में विकास की रफ्तार कितनी तेज होती है।

