पटना : जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने आज बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे पर गंभीर आरोप लगाते हुए कई बड़े खुलासे किए। उनका कहना है कि कोविड जैसी भयावह महामारी के दौरान, जब बिहार के अस्पताल ऑक्सीजन, बेड और एंबुलेंस के लिए तरस रहे थे, तब स्वास्थ्य मंत्री दिल्ली में करोड़ों का फ्लैट खरीदने में व्यस्त थे।
दिल्ली फ्लैट का मामला
- द्वारका, दिल्ली में फ्लैट नंबर 001, प्लॉट 11, मंत्री की पत्नी उर्मिला पांडे के नाम पर 86 लाख रुपये में खरीदा गया।
- फ्लैट खरीद के दौरान गवाह थे बीजेपी नेता दिलीप जायसवाल।
- 6 अगस्त 2019 को दिलीप जायसवाल ने मंत्री के पिता अवधेश पांडे के खाते में 25 लाख रुपये ट्रांसफर किए।
- कुल 6 ट्रांजैक्शन के जरिए 86 लाख रुपये का भुगतान हुआ।
- 2020 के विधानसभा चुनावी हलफनामे में इस संपत्ति का जिक्र नहीं किया गया — जो चुनाव आयोग से तथ्य छुपाने का मामला है।
एंबुलेंस खरीद घोटाला
- बिहार सरकार ने 1000 एंबुलेंस खरीदने के लिए 200 करोड़ का टेंडर जारी किया।
- टाटा मोटर्स से 19 लाख रुपये की दर छीनकर फोर्स मोटर्स को 28 लाख में टेंडर दिया गया।
- 3 साल में कीमत 27.90 लाख तक पहुंच गई।
- नियम के मुताबिक हर जिले में एक सर्विस सेंटर होना चाहिए, लेकिन फोर्स मोटर्स के पूरे बिहार में केवल 3-4 सर्विस सेंटर हैं।
- फिर भी 400 और एंबुलेंस का टेंडर जारी किया गया।
- तुलना में ओडिशा में यही एंबुलेंस 16 लाख और यूपी में 12 लाख में खरीदी गई।
आयुष्मान कार्ड घोटाला
- सबसे ज्यादा फर्जी निकासी आयुष्मान कार्ड के जरिए बिहार में हुई।
- इस योजना का हेड खुद मंगल पांडे का निजी सहायक (PA) है, जिससे मंत्री की भूमिका पर सवाल खड़े होते हैं।
प्रशांत किशोर के सवाल
- कोविड के समय जब जनता मर रही थी, तब स्वास्थ्य मंत्री करोड़ों का फ्लैट क्यों खरीद रहे थे?
- चुनावी हलफनामे में इस संपत्ति का जिक्र क्यों नहीं?
- एंबुलेंस खरीद में 8–11 लाख रुपये प्रति गाड़ी ज्यादा क्यों खर्च किए गए?
- ओडिशा और यूपी से महंगी एंबुलेंस बिहार में क्यों खरीदी गई?
- आयुष्मान कार्ड घोटाले में मंत्री के पीए की भूमिका की जांच कब होगी?
जनसुराज ने इन मामलों की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।