चेरिया बरियारपुर विधानसभा क्षेत्र में इस बार टिकट बंटवारे को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में जबरदस्त हलचल मच गई है। पार्टी सुप्रीमो ने इस सीट से अपने सिटिंग विधायक राजवंशी महतो को बेटिकट करते हुए खगड़िया जिले के सुशील कुमार कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है।
इस सीट से राजद के करीब आधा दर्जन स्थानीय दावेदार टिकट की दौड़ में शामिल थे और लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय भी थे। लेकिन पार्टी ने किसी भी स्थानीय चेहरे को टिकट के लायक नहीं समझते हुए खगड़िया के सतीश नगर निवासी सुशील कुमार कुशवाहा पर दांव लगाया।
ज्योंही यह जानकारी सार्वजनिक हुई, चेरिया बरियारपुर के राजद कार्यकर्ताओं और नेताओं में जबरदस्त नाराज़गी देखने को मिली। कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी नेतृत्व के इस फैसले की सोशल मीडिया पर खुलकर आलोचना की। कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इसे राजद के लिए “त्रासदी” तक करार दिया।
पार्टी के अंदरूनी हलकों में असंतोष का आलम ऐसा है कि कई कार्यकर्ताओं ने लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से टिकट वितरण पर पुनर्विचार की अपील की है। वहीं, कुछ कार्यकर्ताओं ने स्थानीय दावेदारों से निर्दलीय चुनाव लड़ने की अपील भी शुरू कर दी है।
सुशील कुमार कुशवाहा कोई साधारण उम्मीदवार नहीं हैं। वे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सतीश कुमार के पुत्र, वरिष्ठ कुशवाहा नेता नागमणि के साले और पूर्व मंत्री सुचित्रा सिन्हा के भाई हैं। उनके चयन को राजनीतिक विश्लेषक वंशवादी राजनीति और जातीय समीकरणों की दोहरी रणनीति के रूप में देख रहे हैं।
राजद ने चेरिया बरियारपुर की कुशवाहा बाहुल्य जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए टिकट का निर्णय लिया है। लेकिन इस कदम ने पार्टी के भीतर गुटबाज़ी और नाराज़गी को खुलकर सतह पर ला दिया है, जो चुनावी अभियान में पार्टी के लिए चुनौती बन सकता है।