Desk : गंगा किनारे बसा मोकामा कभी बिहार की औद्योगिक और व्यापारिक हृदयस्थली था। अंग्रेज़ी शासनकाल में यहां अंतरदेशीय नौवहन और रेलवे ट्रांस-शिपमेंट का प्रमुख केन्द्र स्थापित हुआ। वर्ष 1893 में विश्व प्रसिद्ध शिकारी और लेखक जिम कार्बेट ने यहीं ट्रांस-शिपमेंट इंस्पेक्टर के रूप में कार्य किया था।
आजादी के बाद मोकामा में नजारथ (पादरी) अस्पताल की स्थापना हुई, जो इलाज के लिए पूरे प्रदेश का प्रमुख केन्द्र बना। इसके बाद मैकडॉवेल फैक्ट्री, भारत वैगन, बाटा कंपनी और इंडियन टेक्सटाइल्स कॉर्पोरेशन जैसे औद्योगिक प्रतिष्ठान खुलने से मोकामा रोजगार और व्यापार का हब बन गया। सीआरपीएफ बटालियन मुख्यालय की स्थापना और सिमरिया-मोकामा गंगा पुल के निर्माण ने इस शहर की प्रतिष्ठा और बढ़ा दी।
दक्षिण टाल क्षेत्र की उर्वर भूमि ने मोकामा को दाल उत्पादन का बड़ा आपूर्ति क्षेत्र बना दिया। एक समय में यहां लाखों टन दाल का उत्पादन होता था।
उद्योग से अपराध की ओर झुकाव
1990 के दशक में मोकामा की पहचान बदलने लगी। फैक्ट्रियाँ बंद होने लगीं और रंगदारी, अपहरण तथा लूटपाट की घटनाएं बढ़ीं। अपराध जगत में प्रभाव जमाने वाले बाहुबलियों का दबदबा बढ़ा और राजनीति के साथ उनका गठजोड़ मजबूत होता गया।
1980 में कांग्रेस नेता श्यामसुंदर सिंह धीरज विधायक बने और माना जाता है कि इसी समय स्थानीय रंगदारों को राजनीतिक संरक्षण का रास्ता मिला। इसके बाद इलाके में दिलीप सिंह, नाटा सिंह, सूरजभान सिंह, दुलारचंद यादव, रामजी ढांढी और अनंत सिंह जैसे नाम उभरने लगे।
1990 और 1995 में जनता दल से दिलीप सिंह विधायक बने और मंत्री पद तक पहुंचे। लेकिन वर्ष 2000 में कुख्यात बाहुबली सूरजभान सिंह ने इस सीट पर कब्जा कर लिया।
‘छोटे सरकार’ का उदय
2004 में सूरजभान के सांसद बनने के बाद उनके भाई अनंत सिंह मोकामा की राजनीति के नए केन्द्र बने। तब से यह सीट लगातार उनके प्रभाव क्षेत्र में रही। 2022 में अनंत सिंह के सजायाफ्ता होने पर उनकी पत्नी नीलम देवी विधायक बनीं।
लगातार पांच बार सीट पर कब्जा रखने के कारण स्थानीय लोग अनंत सिंह को “छोटे सरकार” कहने लगे। वे अपने विवादित बयानों और कार्यशैली के चलते अक्सर सुर्खियों में रहे। बीते दिनों टाल क्षेत्र में पूर्व बाहुबली दुलारचंद यादव की हत्या के बाद उनका नाम फिर चर्चा में है।
2025 चुनाव में बाहुबलियों की सीधी टक्कर
इस बार मोकामा सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प और तनावपूर्ण:
- एनडीए (जदयू)– उम्मीदवार अनंत कुमार सिंह
- महागठबंधन (राजद)– उम्मीदवार वीणा देवी (पूर्व सांसद और सूरजभान सिंह की पत्नी)
दो बाहुबली परिवारों की सीधी टक्कर ने चुनावी माहौल को दहशतपूर्ण बना दिया है।
क्या लौटेगी मोकामा की पुरानी पहचान?
मोकामा एक बार फिर राजनीतिक ध्रुवीकरण का केन्द्र बना है। बिहार की राजनीति के दो बड़े चेहरे नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के समर्थित बाहुबली यहां आमने-सामने हैं। सवाल यह है कि क्या मोकामा अपनी खो चुकी औद्योगिक चमक और शांत पहचान वापस पा सकेगा, या बाहुबल और रंगदारी का साया आगे भी कायम रहेगा?

