Apple Farming in Begusarai: हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर सेब की खेती के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। लेकिन अब बिहार में भी सेब की खेती शुरू हो गई है। प्रदेश के कई जिलों के किसानों ने सेब की खेती शुरू कर दी है। उद्यान विभाग के पास हार्मन-99 है जो सेब की किस्म है। इसकी खेती के लिए बेगूसराय को भी शामिल किया गया है। जिसके बाद बेगूसराय में सेब की खेती (Apple Farming in Begusarai) शुरू हो गई है।
बेगूसराय के नावकोठी प्रखंड के वनद्वार के किसान राजेश खेती कर रहे हैं। राजेश ने 15 महीने पहले बागवानी विभाग की मदद से हिमाचल प्रदेश से हरमन-99 किस्म के सेब के पौधे मंगाकर बागवानी शुरू की थी। राजेश ने बताया कि उद्यानिकी विभाग द्वारा एक हेक्टेयर में 250 पौधे रोपने के लिए उपलब्ध कराये गये हैं। बेगूसराय के किसान अब राजेश को एप्पल मैन कहकर बुलाते हैं।
राजेश ने अपने उद्यानिकी क्षेत्र में सेब के 250 पौधे रोपे हैं। एक पौधे की औसत कीमत 100 रुपये है। वह प्लांट में सिर्फ जैविक खाद का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। एक सेब के पेड़ से तीन साल में करीब 50 किलो फल आ जाता था। हालांकि, पहले साल में 20 किलो तक सेब के उत्पादन की उम्मीद है। राजेश ने बताया कि सेब के 250 पेड़ लगाने के लिए एक साल में 23 हजार खर्च करने पड़ते थे।
उद्यानिकी विभाग से 10 हजार का अनुदान भी मिला है। राजेश के मुताबिक उनके सेब के बाग को देखकर अन्य किसान भी इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं। किसानों को भी जानकारी मिल रही है। किसान राजेश से सेब के पौधे ले रहे हैं। सेब के पौधे से जुड़े किसी भी समस्या होने पर हिमाचल के हरमन शर्मा से संपर्क करते हैं।
एक समय बाद आमदनी दोगुनी : किसान राजेश कुमार के पास करीब 250 पौधे हैं। सेब का पौधा एक साल में फल देना शुरू कर देता है। जबकि दूसरे साल में खर्चा काटा जा सकता है। वहीं एक पौधा 25 साल तक फल देता है। साथ ही एक सेब का पेड़ पहले साल में 10 से 15 किलो फल आसानी से दे देता है। जबकि दूसरे साल में यह 50 किलो तक देती है। इसी तरह, उत्पादन क्षमता साल दर साल बढ़ती जाती है। सेब के बाग से पहले साल में 2 से 3 लाख रुपए की आमदनी होती है। वहीं हर साल आमदनी दोगुनी होती चली जाती है।