पिता माधव राव के जन्मदिन पर ज्योतिरादित्य ने छोड़ी कांग्रेस पार्टी, इतिहास ने खुद को दोहराया

नई दिल्ली : कैसा विचित्र संयोग है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ऐसे दिन कांग्रेस पार्टी से पल्ला झाड़ लिया, जब उनके पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे स्वर्गीय माधव राव सिंधिया का जन्मदिन है इतिहास अपने आपको कैसे दोहराता है, इसका सबूत बन गए हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया, जो आगामी 12 मार्च को भोपाल में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने जा रहे हैं.पार्टी बदलने के मामले में ‘सिंधिया परिवार’ की कहानी बहुत दिलचस्प है क्योंकि यह पहला प्रसंग नहीं है बात बहुत पुरानी है…1967 में जब मध्य प्रदेश में डीपी मिश्रा की सरकार हुआ करती थी, तब कांग्रेस में उपेक्षित होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया कांग्रेस छोड़कर जनसंघ से जुड़ गई थीं और जनसंघ के टिकट पर गुना लोकसभा सीट से चुनाव भी जीती थीं.

सिंधिया परिवार का गुना पर राज : मध्यप्रदेश की गुना लोकसभा सीट देश की एकमात्र सीट है जहां संसदीय चुनाव की शुरुआत से अब तक एक ही परिवार (सिंधिया) का कब्जा बरकरार रहा है ज्योतिरादित्य सिंधिया इस सीट पर लगातार 4 बार से सांसद हैं उनके पिता भी इस सीट से 9 बार सांसद बने.1957 से लेकर अब तक 14 बार इस परिवार ने गुना सीट पर अपना कब्जा कायम रखा है.

माधव राव सिंधिया को अटल जी ने दिलाई जनसंघ की सदस्यता: राजमाता विजयराजे सिंधिया ने अपने बेटे माधव राव सिंधिया को 23 फरवरी 1970 को मात्र 101 रुपए देकर जनसंघ की सदस्यता दिलवाई थी. अटलबिहारी वाजपेयी ने उनकी सदस्यता पर्ची काटी थी.इस पर्ची में उनकी उम्र 25 बरस और पेशा खेती लिखा था.सदस्यता ग्रहण करने के बाद माधव राव ने गुना से जनसंघ के टिकट पर चुनाव जीता. यह बात 1971 की है

माधव राव को रास नहीं आया जनसंघ : कुछ समय बाद जनसंघ का तौर तरीका माधव राव सिंधिया को रास नहीं आया और उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया. यह उनकी लोकप्रियता का ही आलम था कि कांग्रेस के टिकट पर पर वे लगातार 9 बार गुना से सांसद चुने गए. गुना में माधव राव का ऐसा दबदबा था कि वे चुनाव प्रचार नहीं करते तो भी जीत जाया करते थे.सभी लोग उन्हें ‘महाराज’ ही कहते थे.

निर्दलीय के रूप में जीता चुनाव : 1977 में माधव राव ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की और फिर वे कांग्रेस में चले गए थे. 1980 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर माधव राव संसद पहुंचे. वहीं दूसरी तरफ विजयाराजे ने भाजपा का हाथ थाम लिया