Begusarai News : बिहार में जहां एक ओर विधानसभा चुनाव की गहमागहमी चरम पर है। नेता अपने-अपने सियासी समीकरण साधने में जुटे हैं, मंचों पर वादों की बारिश हो रही है। वहीं दूसरी ओर बेगूसराय के बलिया प्रखंड का शिवनगर गांव गंगा नदी की तेज धार में अपनी पहचान खोता जा रहा है। यहां के लोग वोट की नहीं, बल्कि अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं।
भवानंदपुर पंचायत के शिवनगर गांव में गंगा नदी का कटाव इस कदर भयावह हो चुका है कि लोगों की नींद, चैन और उम्मीद सबकुछ नदी की लहरों में बहने लगा है। बीते दो दिनों से लगातार कटाव जारी है। कई घर नदी के बिल्कुल किनारे पहुँच चुके हैं, कुछ के तो सिर्फ दो-तीन मीटर की दूरी पर ही लहरें गरज रही हैं। हालात ऐसे हैं कि गांव के लोग अब रातें भी टॉर्च की रोशनी में काट रहे हैं, क्योंकि डर है कहीं अगली सुबह उनका घर ही न बचे।
कई परिवार अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित जगहों की तलाश में हैं। किसी का आंगन दरक गया है, किसी की दीवारों में दरारें पड़ गई हैं, और किसी की आंखों से अब सिर्फ आंसू बह रहे हैं। ग्रामीणों की जुबान पर एक ही सवाल है- ‘अब हम कहां जाएं?’
गंगा के बढ़े जलस्तर से शुरू हुए इस कटाव ने विभागीय लापरवाही की पोल भी खोल दी है। पिछले वर्ष शिवनगर, कुतलूपुर और पुराना डीह पंचायत में लगभग 12 करोड़ 40 लाख रुपये की लागत से कटाव-निरोधक कार्य कराया गया था, लेकिन इस बार की लहरों ने उसे ऐसे निगल लिया, मानो वहां कभी कुछ बना ही न हो। मिट्टी के साथ-साथ करोड़ों रुपये भी पानी में बह गए और जवाबदेही का कोई नामोनिशान नहीं।
ग्रामीणों की आंखों में अब सिर्फ भय नहीं, बेबसी भी साफ झलकती है। जिस धरती पर पीढ़ियों ने जीवन बसाया, वही धरती अब हर घंटे गंगा में समा रही है। शाहपुर, टिटहियां टोला, भवानंदपुर और शिवनगर के हजारों लोगों का अस्तित्व खतरे में है।