Cheria Bariarpur Assembly Constituency 2025 : बेगूसराय का चेरिया बरियारपुर विधानसभा क्षेत्र जहां की राजनीति सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि बिहार की जातीय राजनीति का आईना मानी जाती है। आज़ादी के बाद से यह इलाका रहा है राजनीतिक जागरूकता और जातीय समीकरणों का केंद्र बिंदु।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1952 के पहले विधानसभा चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के रामनारायण चौधरी ने कांग्रेस के रामबाबू सिंह को हराकर इतिहास रचा था। लेकिन 1957 में राजनीतिक समीकरण बदल गए—कांग्रेस के युवा हरिहर महतो (कोयरी जाति) ने रामनारायण चौधरी को पराजित कर इस सीट पर कोयरी समुदाय का वर्चस्व स्थापित कर दिया। यह वही चुनाव था जिसने आने वाले दशकों के लिए बिहार की जातीय राजनीति की दिशा तय कर दी।
कोयरी बनाम भूमिहार का दशकों पुराना संघर्ष
1957 के बाद से चेरिया बरियारपुर की राजनीति पर लगातार कोयरी जाति का दबदबा रहा। 1962, 1972, 1980, 1985, 2000, 2010, 2015 और 2020 इन सभी चुनावों में कोयरी समुदाय से आने वाले उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।
हालांकि, समाजवादी भूमिहार नेता रामजीवन सिंह ने इस वर्चस्व को कई बार चुनौती दी और 1967, 1969, 1977, 1990 और 1995 में जीत दर्ज कर भूमिहार प्रतिनिधित्व की पहचान बनाई। वर्ष 2005 में लोजपा के भूमिहार नेता अनिल चौधरी ने भी जीत हासिल कर एक बार फिर इतिहास दोहराया। लेकिन 2010 के बाद से कोयरी जाति का राजनीतिक प्रभाव फिर से लौट आया।
हालिया राजनीतिक समीकरण
2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के तहत राजद के राजवंशी महतो ने जदयू की पूर्व मंत्री कुमारी मंजू वर्मा को हराकर सीट अपने नाम की थी। लेकिन 2025 में समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं।
राजद (महागठबंधन) ने अपने सीटिंग विधायक राजवंशी महतो को टिकट नहीं दिया, बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह के पुत्र सुशील सिंह कुशवाहा को मैदान में उतारा है। एनडीए ने मंजू वर्मा के पुत्र अभिषेक आनंद को प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं जनसुराज ने भूमिहार समाज से आने वाले डॉ. मृत्युंजय चौधरी पर दांव लगाया है।
मुकाबले का नया समीकरण
- चुनावी प्रचार की अभी बस शुरुआत है,
- लेकिन मुकाबला त्रिकोणीय और बेहद दिलचस्प दिख रहा है —
- एक ओर एनडीए का कोयरी चेहरा,
- दूसरी ओर महागठबंधन का नया उम्मीदवार,
- और तीसरी ओर जनसुराज का भूमिहार प्रत्याशी।
जातीय राजनीति का निर्णायक मैदान
- बेगूसराय की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से निर्णायक रहे हैं,
- और चेरिया बरियारपुर इसकी सबसे सटीक मिसाल है।
अब देखना यह होगा कि 2025 का ऊंट किस करवट बैठेगा — क्या कोयरी वर्चस्व कायम रहेगा या कोई नया इतिहास लिखा जाएगा?


