Begusarai News : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दल उम्मीदवारों की तलाश और सीटों के बंटवारे को लेकर गहन रणनीति बनाने में जुट गए हैं। बेगूसराय जिले की सात विधानसभा सीटों को लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों के खेमों में मंथन और गुटबाज़ी शुरू हो गई है।
महागठबंधन में सीटों को लेकर घमासान
बेगूसराय जिले की सात विधानसभा सीटों में से तीन फिलहाल एनडीए के पास हैं, जबकि चार सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है। हालांकि, महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर भारी असमंजस की स्थिति है। मटिहानी और बछवाड़ा सीटों पर विशेष घमासान की आशंका है। पिछली बार इन सीटों पर वामपंथी दलों (CPI व CPM) को हार का सामना करना पड़ा था। अब कांग्रेस इन दोनों सीटों पर दावा ठोक रही है।
- मटिहानी सीट से कांग्रेस जिलाध्यक्ष अभय कुमार सिंह उर्फ सारजन दावेदारी कर रहे हैं।
- बछवाड़ा सीट से युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शिवप्रकाश गरीबदास मैदान में उतरने को तैयार हैं।
वहीं CPI और CPM इन परंपरागत सीटों को छोड़ने के मूड में नहीं दिख रहे, जिससे महागठबंधन के अंदर घमासान और गहराने के आसार हैं।
वरिष्ठ विधायकों पर टिकट कटने के बादल!
बेगूसराय जिले के दो वरिष्ठ विधायक
- रामरतन सिंह (तेघड़ा विधायक, CPI)
- राजबंसी महतो (चेरिया-बरियारपुर विधायक, RJD)
इनकी बढ़ती उम्र अब उनकी अगली चुनावी उम्मीदवारी पर संकट बनकर मंडरा रही है। दोनों नेताओं की उम्र 70 वर्ष से अधिक हो चुकी है और पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस बार युवा और सक्रिय चेहरों को तरजीह देने की तैयारी है।
पार्टी आलाकमान दोनों सीटों पर नए उम्मीदवारों को लेकर मंथन कर रहा है, और स्थानीय कार्यकर्ताओं से भी संभावित चेहरों की सूची मंगाई जा रही है। रामरतन सिंह और राजबंसी महतो का विधानसभा और जनता के बीच सक्रियता भी समीक्षा के दायरे में है।
एनडीए में भी संशय की स्थिति
एनडीए में भी टिकट वितरण को लेकर संशय बरकरार है। कुछ मौजूदा विधायकों को दोबारा मौका मिलने की संभावना है, लेकिन कई सीटों पर बदलाव तय माना जा रहा है। जातीय समीकरण, क्षेत्रीय प्रभाव और जनसंपर्क की स्थिति के आधार पर उम्मीदवारों को फाइनल किया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 2025 का विधानसभा चुनाव बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव लेकर आ सकता है।
“अगर पार्टियाँ युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने के अपने ही सिद्धांत पर कायम रहती हैं, तो वरिष्ठ नेताओं को भी उसी कसौटी पर परखा जाएगा।”
कांग्रेस नहीं छोड़ना चाहती अपनी जमीन
राजद और वामदलों के आपसी तालमेल के बीच कांग्रेस इस बार अपने परंपरागत क्षेत्रों को गंवाना नहीं चाहती। यही वजह है कि कांग्रेस पूरी ताकत के साथ सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर रही है। अगर गठबंधन में सहमति नहीं बनी तो ये सीटें महागठबंधन की एकता को चुनौती दे सकती हैं।
अगले कुछ हफ्ते होंगे निर्णायक
बेगूसराय की सात विधानसभा सीटों पर टिकटों को लेकर अंदरूनी खींचतान, उम्रदराज नेताओं का भविष्य और युवा चेहरों की एंट्री — यह सब आने वाले कुछ हफ्तों में स्पष्ट होगा।