बेगूसराय। पूर्व विधायक और कांग्रेस नेत्री अमिता भूषण ने पदयात्रा के माध्यम से अपने चुनावी अभियान का आगाज़ कर दिया है। हालांकि वे बीते वर्षों से लगातार अपने क्षेत्र के मतदाताओं के बीच सक्रिय रही हैं, लेकिन इस बार उनका रुख पूरी तरह चुनावी मोड में नज़र आ रहा है।
पहले दिन बीरपुर प्रखंड में घर-घर संपर्क
पदयात्रा की शुरुआत बीरपुर प्रखंड के बीरपुर पंचायत से हुई। इस दौरान उन्होंने भैरव स्थान, लवटोलिया, हाय स्कूल टोला, टमटम स्टैंड और पकड़ी जैसे मुहल्लों का भ्रमण किया और घर-घर जाकर लोगों से आशीर्वाद लिया। स्थानीय मतदाताओं ने बताया कि चुनावी हार के बावजूद भी अमिता भूषण लगातार अपने क्षेत्र में सक्रिय रही हैं, जिसका उन्हें इस बार फायदा मिल सकता है।
ग्रामीणों से बातचीत में अमिता भूषण ने कहा कि,
“यह मेरे लिए रूटीन भ्रमण है। चूँकि चुनाव नज़दीक है इसलिए मीडिया इसे चुनावी पदयात्रा कह रही है। मेरा हमेशा से लोगों से जुड़ाव रहा है। इस भ्रमण से मुझे उनकी समस्याओं से सीधे रूबरू होने का अवसर मिलता है।”
उन्होंने कहा कि पिछले पाँच सालों में विकास ठप हो गया है। लोग महंगाई, बेरोजगारी, बढ़ते अपराध और जलजमाव से त्रस्त हैं। वहीं, अपने कार्यकाल को उन्होंने “मॉडल” के रूप में याद किया और कहा कि जनता तुलना करके सही फ़ैसला करेगी।
इस दौरान उनके साथ प्रखंड अध्यक्ष धर्मराज सहनी, पूर्व प्रखंड अध्यक्ष संजीव सिंह, डॉ. रामसागर सिंह, डॉ. गीता प्रसाद सिंह सहित सैकड़ों स्थानीय लोग मौजूद रहे।
दूसरे दिन नीमा पंचायत में मिला जनसमर्थन
पदयात्रा के दूसरे दिन अमिता भूषण ने सदर प्रखंड के नीमा पंचायत में घर-घर जाकर संपर्क किया। शेरपुर और नीमा गाँव में उन्हें सैकड़ों लोगों का समर्थन मिला। इस दौरान महिलाओं में विशेष उत्साह देखा गया।
ग्रामीणों ने सड़क, नाली, जलजमाव और सामाजिक योजनाओं के क्रियान्वयन में गड़बड़ियों की शिकायतें रखीं। अमिता भूषण ने सकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि उनका एकमात्र ध्येय विकास है और यही उनके राजनीतिक जीवन की प्रतिबद्धता भी है।
इस दौरान प्रखंड अध्यक्ष विजय सिंह, पंचायत अध्यक्ष मो. मुस्तफा, पूर्व मुखिया राम प्रकाश पासवान, आलोक कुमार, राजू पोद्दार सहित सैकड़ों ग्रामीण उनके साथ मौजूद रहे।
चुनावी समर में ऊर्जा भरी पदयात्रा
लगातार दो दिनों तक चली पदयात्रा ने अमिता भूषण के अभियान को नई ऊर्जा दी है। भीड़ और स्थानीय समर्थन ने उनके कैंप को आत्मविश्वास से भर दिया है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि उनकी जमीनी सक्रियता और कार्यकाल की तुलना को लेकर जनता के बीच बनी सकारात्मक छवि आगामी चुनाव में उनकी सबसे बड़ी पूंजी साबित हो सकती है।