Monday, July 8, 2024
Railway News

Train के इंजन में शौचालय क्यों नहीं होते हैं? जानें- महिला ड्राइवर्स को क्या-क्या झेलना पड़ता है!

Indian Railways : हम जब भी किसी लंबी यात्रा पर जाते हैं तो सबसे पहले रेल यात्रा को चुनते हैं, क्योंकि हम भारतीयों का मानना है कि ट्रेन (Train )हमें चलने फिरने के साथ ही टॉयलेट की सुविधा भी देती है, जो किसी भी लंबी यात्रा के साथ ही बूढ़े, बच्चे और महिलाओं के लिए विशेष सुविधा है लेकिन क्या आप जानते हैं ट्रेन के इंजन में टॉयलेट नहीं होता। 

जी हाँ, आपने सही पढ़ा ट्रेन के इंजन में टॉयलेट नहीं होता है और इस वजह से लोको पायलट को 12-12 घंटे तक बिना टॉयलेट का उपयोग किये अपनी ड्यूटी पूरी करनी पड़ती है और फिर आप समझ सकते हैं की महिला पायलट को किन समस्याओं से जूझना पड़ता होगा। 

10-12 घंटे बगैर टॉयलेट के रहते हैं लोको पायलट 

एक लोको पायलट का 10-12 घंटे बगैर टॉयलेट के रहना और वो भी बिना कुछ खाए पीए, ये कितना कठिन होता होगा उनके लिए और लोको पायलट से जब इसे लेकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि टॉयलेट नहीं होने की वजह से वे पानी कम ही पीते हैं और रास्ते में किसी भी तरह का खाना पीना खाने से परहेज ही करते हैं क्योंकि टॉयलेट नहीं होने से उन्हे असुविधा का सामना करना पड़ता है। 

ये बात तो हुई पुरुष लोको पायलट की और अब आप सोचिए महिला लोको पायलट का क्या हाल होता होगा क्योंकि उन्हें पीरियड्स में टॉयलेट जाना तक नसीब नहीं होता है और इसीलिए या तो महिला लोको पायलट पीरियड्स में छुट्टी ले लेती हैं या फिर वे छोटी यात्राएं चुनती हैं, जिससे उन्हे समस्याओं का सामना ना करना पड़े। 

मालगाड़ी में हालात और गंभीर 

महिला लोको पायलट से बात करने पर जानकारी मिली की ये स्थति मालगाड़ियों में और भी ज्यादा खराब है, क्योंकि इसमें मालगाड़ी यार्ड में इंतजार करने से, यात्रा की तैयारी करना और 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से मालगाड़ी का चलना शामिल है। उन्होंने बताया कि किसी समस्या से बचने के लिए वे कई बार सैनिटरी पैड का उपयोग करती हैं और मालगाड़ीयों में यात्रा करने पर ये सुविधा और समय भी नहीं होता कि उतर कर यात्री डिब्बे में चढ़ा जा सके। 

रनिंग रूम में भी टॉयलेट का अभाव

इसके साथ ही रनिंग रूम, जहां पायलट को आराम करने की सुविधा होती है, वहाँ भी टॉयलेट की लड़ाई बहुत  लंबी है, क्योंकि जहां रनिंग रूम होते हैं वहाँ महिलाओं के लिए अलग से कोई शौचालय नहीं हैं। इस वजह से कई बार महिला लोको पायलट डेस्क वर्क पर ही काम करना पसंद करती हैं 

कहां कितने टॉयलेट?

इस समय 97 इंजनों में ही टॉयलेट है। 2013 में ‘बायो टॉयलेट’ की शुरुआत की गई थी लेकिन 97 टॉयलेट ही अब तक लगाए गए हैं। भारतीय रेलवे के पास लगभग 40000 लोको पायलट हैं, जिनमें 1000 महिला पायलट हैं और अभी ये लड़ाई लंबी है।