Railway : ट्रेन चलाने से पहले लोको पायलट को देना पड़ता है ये टेस्ट, इसके बाद ही चला सकते रेल…..

Railway : एक ट्रेन को चलाने के लिए कई सारे लोगों के साथ में मिलकर काम करते हैं तभी वह अपने गंतव्य तक सुरक्षित पहुंच पाती है और हर रोज लाखों यात्री सुरक्षा पूर्वक अपने स्थान पर पहुंच पाते हैं।

एक ट्रेन को चलाने के लिए रेलवे कर्मचारी की मेहनत और उनका अलर्ट ट्रेन को सही और सुरक्षित रखता है ताकि लोगों का भरोसा रेलवे पर बना रहे और इसी क्रम में महत्वपूर्ण स्थान लोको पायलट का भी रहता है। लोको पायलट ऐसा व्यक्ति होता है जो ट्रेन का मार्गदर्शन करता है और उसमें चल रहे लाखों टन माल या हजारों यात्रियों को उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचना है।

आप में से अधिकतर लोग लोको पायलट के बारे में नहीं जानते होंगे लेकिन आज हम उनके काम के बारे में आपको बताने वाले हैं, जो आपको जरूर दिलचस्प लगेगा। हालांकि लोको पायलट इंजन में बैठकर सिर्फ ट्रेन को ही नहीं चलाता बल्कि उसकी परीक्षा इससे पहले ही शुरू हो जाती है। ट्रेन को चलाने से पहले ही लोको पायलट की एक परीक्षा होती है और उसमें सफल होने के बाद ही उसे ट्रेन चलाने को दी जाती है। आइए आपको बताते हैं कि लोको पायलट क्या काम करता है?

पास करना होता है ये टेस्ट

जब कोई लोको पायलट ट्रेन चलाने जाता है तो उसे कई सभी नियम और शर्तों का पालन करना होता है। सबसे पहले उसे संबंधित ट्रेन के बारे में जानकारी दी जाती है और उसे अटेंडेंट लगानी होती है। इसके साथी ट्रेन जिस रूट पर जाने वाली है उसकी जानकारी भी दी जाती है। इसके अलावा उनका अल्कोहल टेस्ट लिया जाता है ताकि पता चल सके कि ड्राइवर शराब पीकर तो गाड़ी नहीं चला रहा है। अगर वह इन सभी परीक्षाओं में पास होता है तो उसे ट्रेन चलाने की इजाजत दी जाती है।

ये काम भी करता है लोको पायलट

लोको पायलट को ट्रेन चलाने की इजाजत मिलने के बाद वह सबसे पहले ट्रेन के इंजन पर चेक करता है और उसकी पूरी जांच पड़ताल करता है। अगर इसमें कोई गड़बड़ी मिलती है तो वह सबसे पहले अधिकारियों को इसके बारे में सूचित करता है। ट्रेन के इंजन को अंदर और बाहर से पूरी तरह से चेक करना होता है और इसके बाद ही ट्रेन को चला सकते है।

ट्रेन में ऐसे होता है काम

आप दिए गए वीडियो में देख सकते हैं कि एक ट्रेन में दो लोको पायलट होते हैं जो आपस में सिग्नल को लेकर बातचीत कर रहे हैं और सिग्नल के बारे में जानकारी पंहुचा रहे है। इसके साथ ही एक लीवर के जरिये भी सब कुछ नियंत्रण में रखना होता है और जब तेज स्पीड में ट्रेन चल रही है तो उनका ध्यान ऑक्सीजन देने और सामने ट्रैक पर होता है। लोको पायलट का काम बहुत ही जिम्मेदारी का काम है और इसमें कोई चूक नहीं होनी चाहिए वरना बड़ा हादसा हो सकता है। इसलिए लोको पायलट हमेशा ध्यान लगाकर हर काम को देखता रहता है।