भारत का अजूबा Railway Station- यहाँ गार्ड और ड्राइवर ट्रेन से उतरकर बंद करते हैं फाटक…

Railway Station : भारतीय रेलवे के अंतर्गत ऐसी कोई ट्रेन दौड़ती है जो इसकी गाथा बयां कर रहे हैं और ऐसे कई रेलवे स्टेशन है जो एयरपोर्ट के सुख सुविधाओं को भी पीछे छोड़ रहे हैं। लेकिन भारतीय रेलवे के ऐसे स्वर्णिम दौर के अंदर बिहार का एक ऐसा रेलवे फाटक है जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

यह रेलवे फाटक बिहार के सिवान जिले में है। यहां पर रेलवे फाटक को बंद और खोलने के लिए ट्रेन के गार्ड और ड्राइवर को ट्रेन रोकनी पड़ती है। लेकिन आपका दिमाग चकरा जाएगा कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है क्योंकि रेलवे के पास कई सारी आधुनिक तकनीक आ चुकी है।

बिहार के सिवान जिले में एक ऐसा अजब रेलवे फाटक है जिसे खोलने और बंद करने के लिए गेटमैन नहीं है बल्कि ट्रेन का लोको पायलट और गार्ड ही काम करते हैं। यह रेलवे फाटक जिले महराजगंज अनुमंडल के रामापाली रेलवे क्रॉसिंग(फाटक) है। यहां से ट्रेन निकलने के लिए काफीमेहनत करनी पड़ती है। यहां से ट्रेन गुजरने से पहले ड्राइवर ट्रेन रोककर रेलवे फाटक बंद करता है जब क्रॉसिंग पूरी हो जाती है तो दोबारा ट्रेन रोकी जाती है और गार्ड उतरकर फाटक को खोलता है। इसके बाद वह अपनी आगे बढ़ती है।

पिछले कई सालों से हो रही परेशानी

बता दें कि यह रेलवे फाटक महाराजगंज-मसरख रेलखंड पर स्थित है। यह सिंगल लाइन है। इस रूट से काफी सीमित संख्या में तीन से चार की संख्या में ट्रेनों का परिचालन होता है। इस रूट पर महाराजगंज और मशरख के लोग परिचालन करते है, काफी कम संख्या होने के कारण यहां रेलवे फाटक तो है लेकिन गार्ड को तैनात नहीं किया गया है। इसलिए सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए कई सालों को रेलवे फाटक को खोलने और बंद करने का काम ट्रेन ड्राइवर और गार्ड ही कर रहे है। इसलिए ये मामला आज भी भारतीय रेलवे के बड़े-बड़े कामों को खटकता है।

क्या कहते है स्थानीय लोग

यहां के निवासियों का कहना है कि रेलवे द्वारा कितने पैसे ऐसे ही खर्च कर दिए जाते है लेकिन महाराजगंज के इस रेलवे फाटक पर गेटमैन नियुक्त नहीं किया जाता है। लोगों द्वारा कई बार रेलवे को ज्ञापन देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस बारे में स्थानीय लोगों को तो पता है लेकिन नए लोग उसे देखकर हैरान रह जाते है।

पूर्वोत्तर रेलवे बढ़ाती मंडल के जनसंपर्क अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि वन ट्रैन सिस्टम में इस तरह होता है। जब ट्रेन एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन चली जाती है, तभी दूसरे ट्रेन का सिग्नल दिया जाता है। इसमें रेल कर्मचारी की कोई गलती भी नहीं है और ट्रेन दुर्घटना भी नहीं होती है। सफर करने वाले यात्री भी सुरक्षित सफर कर लेते है और रेलवे क्रॉसिंग को पार करने वाले भी।