Bottle Milk : क्या आप भी बच्चे को पिलाती हैं बोतल से दूध? सेहत को होगा बड़ा नुकसान, जानें-

Bottle Milk : मां का दूध बच्चों के लिए सर्वोत्तम आहार माना जाता है। यही वजह है कि बच्चे के जन्म के 6 महीने तक उन्हें मां का दूध पिलाने के लिए कहा जाता है। मगर कई बार कुछ परेशानी की वजह से बच्चों को उनकी मां बोतल का दूध पिलाती है।

कई बार उन्हें पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं आता जिसकी वजह से उन्हें अपने बच्चे को बोतल का दूध पिलाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उन्हें कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। नहीं तो बच्चे को परेशानी हो सकती है।

हाइजीन का रखें खास ध्यान

वैसे तो बच्चे को बोतल से दूध पिलाने से बचना चाहिए। लेकिन किसी विशेष परिस्थिति में आप अपने बच्चों को बोतल का दूध पिला रहे हैं तो हाइजीन का खास ध्यान रखें। बच्चों को दूध पिलाने से पहले बोतल की अच्छे से सफाई करें।

एक बोतल का लंबे समय तक यूज ना करें

ज्यादातर मिल्क फीडिंग बोतल प्लास्टिक की होती है। इस वजह से इस बोतल को समय-समय पर बदलना बेहद जरूरी है। क्योंकि एक प्लास्टिक की बोतल का लंबे समय तक इस्तेमाल करना आपके बच्चे सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। बोतल के साथ-साथ निप्पल को भी थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद बदलते रहें।

अच्छे निप्पल का करें चुनाव

बच्चों को बोतल से दूध पिलाने के लिए आप सही निप्पल का इस्तेमाल करें। निप्पल का आकार सही रहना चाहिए। ताकि बच्चे को दूध पीने में आसानी हो। साथी आपको यह ध्यान में रखना चाहिए की निप्पल में किया गया छेद ज्यादा बड़ा न हो। छेद यदि ज्यादा बड़ा हुआ तो बच्चे के मुंह में अधिक मात्रा में दूध जाएगी। तेजी से इतनी अधिक मात्रा में दूध जाने से बच्चों को गले में फंदा भी लग सकता है। इसलिए ऐसा करने से बचें।

गोद में लेकर पिलाएं दूध

हमेशा बच्चों को गोद में लेकर और उसके सिर के नीचे हाथ रखकर उसे दूध पिलाएं। कई बार लोग बच्चे को बिस्तर पर लेटाकर उन्हें बोतल देकर अपने काम में लग जाते हैं। लेकिन ऐसा करना सही नहीं है। लेटकर दूध पीते समय अधिक मात्रा में उनके गले में दूध जा सकती है।

बहुत बाद जब बच्चे बिस्तर पर लेट कर दूध पीते रहते हैं तो नाक में भी दूध जाने का खतरा बढ़ जाता है। जिससे परेशानी झेलना पड़ सकती है। यही वजह है की बोतल में दूध पिलाते समय हमेशा बच्चों के साथ रहें।