हर्षोल्लास के साथ मना वट सावित्री व्रत, कहीं समूह में महिलाओं ने बरगद के वृक्ष का की पूजा तो कहीं घर के गमले में ही हुई पूजा

न्यूज डेस्क : आज हर्षोल्लास के साथ सुहागिनों ने वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष का पूजा किया । लॉकडाउन में ढील के साथ ही वट सावित्री व्रत को लेकर सड़कों पर झुंडों में महिलाओं का समूह परंपरागत गीत गाते हुए देखी गई। जेष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या वट सावित्री का व्रत होता है। जिसे मिथिलांचल के क्षेत्र में बरसात पूजा भी कहते हैं। सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए यह एक उत्सव के जैसा होता है। एक तरफ जहां बिहार के लॉकडाउन में सख्ती थोड़ी कम हुई है, तो दूसरी ओर बरसात पूजा को लेकर महिलाएं झुंड में सार्वजनिक स्थलों पर लोक परंपरागत लोक गीतों के साथ माथे पर मिट्टी का कलष और हाथों में बांस की बनी हुई डोली और पंखे को लेकर बरगद के वृक्ष की पूजा केलिए पहुची।

पूजा करने से अखंड सौभाग्य का मिलता है फल मान्यता है कि ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन अगर बरगद वृक्ष की पूजा की जाए तो या अखंड सौभाग्य को देने वाला होता है। इस मान्यता को लेकर स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु जीवन की मंगल कामना के लिए प्रातः काल से ही बट सावित्री व्रत को लेकर सक्रिय दिखीं। दूसरी तरफ सूर्यग्रहण को लेकर भी चर्चा का बाजार गर्म रहा । लोग एक दूसरे से एवं पंडितों से इस संदर्भ में पूछते दिखे।

सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं ने वट सावित्री व्रत त्यौहार को सामूहिक रूप से मनाया तो शहरी क्षेत्रों में महिलाओं ने अपने घरों में ही बरगद के वृक्ष को लगा करें सोशल डिस्टेंसिंग एवं भीड़-भाड़ से बचते हुए भी मनाई। इस संदर्भ में ज्योतिष आचार्य अविनाश शास्त्री ने बताया कि सूर्योदय और सूर्यास्त संसार के जिस भूभाग से दिखता है। उसी भूभाग पर ग्रहण का भी प्रभाव पड़ता है क्योंकि यह सूर्य ग्रहण मिथिलांचल एवं बिहार में दिखाई नहीं देगा , इसलिए मिथिलांचल एवं बिहार में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।