29 साल बाद आया रक्षाबंधन पर ऐसा शुभ संयोग, राखी बांधने के ये है तीन शुभ मुहूर्त

डेस्क : भाई बहन के प्यार का त्यौहार है रक्षाबंधन, हर भाई बहनों को रक्षाबंधन का बेसब्री से इंतजार रहता है इस बार यह रक्षाबंधन 3 अगस्त को मनाया जा रहा है। इस बार श्रावणी पूर्णिमा के साथ महीने का श्रावण नक्षत्र भी पड़ रहा है इसीलिए पर्व की शुद्धता और बढ़ जाती है। श्रावण नक्षत्र का संयोग पूरे दिन रहेगा. सावन के आखिरी सोमवार यानी 3 अगस्त को रक्षाबंधन का त्यौहार पड़ रहा है ऐसा शुभ संयोग 29 साल बाद आया है. ज्योतिष शास्त्र की माने तो भाई बहन का यह पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन इस बार बेहद खास होगा क्योंकि इस साल रक्षाबंधन पर स्वार्थ सिद्धि और दीर्घायु आयुष्मान का शुभ संयोग बन रहा है साथ ही इस साल भद्रा और ग्रहण का साया रक्षाबंधन पर नहीं पड़ रहा है।

रक्षाबंधन पर बन रहे शुभ संयोग इस साल रक्षाबंधन पर स्वार्थ सिद्धि और दीर्घायु हो योग के साथ ही सूर्य शनि के समसप्तक योग, सोमवती पूर्णिमा, मकर का चंद्रमा श्रवण नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और प्रीति योग बन रहा है। इसके पहले यह संयोग 1991 में बना था. इस संयोग को कृषि क्षेत्र के लिए विशेष फलदाई माना जा रहा है. रक्षाबंधन के पहले 2 अगस्त को रात्रि 8 बजकर 43 मिनट से 3 अगस्त को सुबह 9 बजकर 28 मिनट तक भद्रा रहेगी। इसके साथ ही शाम 7 बजकर 49 मिनट से दीर्घायु कारक आयुष्मान योग भी लग जाएगा।

rakjsha-bandhan

बहनें कब बांध सकती हैं रक्षा सूत्र
राखी बंधन का शुभ मुहूर्त-09:27:30 से 21:11:21 तक
रक्षाबंधन का अपराह्न मुहूर्त-13:45:16 से16:23:16 तक
रक्षाबंधन का प्रदोष मुहूर्त-19:01:15 से 21:11:21 तक
मोर अवधि 11 घंटे 40 मिनट तक

इस पवित्र त्यौहार मनाने के पीछे क्या है मान्यता मान्यता है कि शिशुपाल राजा का वध करते समय भगवान श्री कृष्ण के बाएं हाथ से खून बहने लगा तो द्रोपदी ने तत्काल अपनी सारी का पल्लू फाड़ कर उनके हाथ की उंगली पर बांध दिया, कहा जाता है कि तभी से भगवान श्रीकृष्ण द्रोपती को अपनी बहन मानने लगे और सालों के बाद जब पांडवों ने द्रौपदी को जुए में हरा दिया और भरी सभा में जब दुशासन द्रौपदी का चीर हरण करने लगा तो भगवान कृष्ण भाई का फर्ज निभाते हुए इनकी लाज बचाई थी और तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा जो आज भी जारी है। सावन मास की पूर्णिमा को भाई बहन का प्यार रक्षाबंधन मनाया जाता है पौराणिक मान्यता यह भी है कि रावण की बहन ने भद्रा में उसे रक्षा सूत्र बांधा था जिससे रावण का सर्वनाश हो गया था।