मस्जिदों में सामाजिक नमाज की जगह लोग घरों में अदा की बकरीद की नमाज

संवादसूत्र खोदावंदपुर / बेगुसराय : बकरीद का त्योहार सम्पूर्ण प्रखण्ड क्षेत्र में सादगीपूर्ण वातावरण में शांतिपूर्ण रूप से सम्पन्न हो गया। मुसलमान भाइयो ने कोरोना महामारी को देखते हुए मस्जिदों में सामूहिक नमाज अदा करने के वजाय अपने घरों में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए बकरीद का नमाज अदा किया तथा एक दूसरे को बधाई दी।.बताते चलें कि बकरीद का पर्व ईद-इल-फित्र के बाद ईद-उल-ज़ुहा के तौर पर यह त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार कुरबानी का त्यौहार है। इस्लाम धर्म का यह दूसरा प्रमुख त्यौहार है। इसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है।

जानकारी देते हुए बाड़ा निवासी मो असलम ने बताया कि ईद-उल-ज़ुहा हज़रत इब्राहिम की कुरबानी की याद के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन हज़रत इब्राहिम अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह के प्रति अपनी वफादारी दिखाने के लिए अपने बेटे हज़रत इस्माइल को कुरबान करने पर राजी हुए थे। इस पर्व का मुख्य लक्ष्य लोगों में जैसा कि मानना है कि जनसेवा और अल्लाह की सेवा के भाव को जगाना है.ईद-उल-ज़ुहा का यह पर्व इस्लाम के पांचवें सिद्धान्त हज की भी पूर्ति करता है। वही तारा बरियरपुर निवासी डॉ अफरोज ने अपने अंदाज में कहा कि कुरान में बताया गया है कि एक दिन अल्लाह ने हज़रत इब्राहिम से सपने में उनकी सबसे प्रिय चीज की कुरबानी मांगी थी ,तब हज़रत इब्राहिम को सबसे प्रिय अपना बेटा लगता था उन्होंने अपने बेटे की कुरबानी देने का निर्णय किया।

लेकिन जैसे ही हज़रत इब्राहिम ने अपने बेटे की बलि लेने के लिए उसकी गर्दन पर वार किया, अल्लाह चाकू की धार से हज़रत इब्राहिम के पुत्र को बचाकर एक भेड़ की कुर्बानी दिलवा दी। इसी कारण इस पर्व को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है।जब से ईद-उल-ज़ुहा के दिन मुसलमान भाई किसी जानवर जैसे बकरा, भेड़, ऊंट आदि की कुरबानी देते हैं. इस कुरबानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है.एक खुद के लिए, एक सगे-संबंधियों के लिए और एक गरीबों के लिए अलग कर लोगों में बांट देते हैं. लोगों का कहना है कि बकरीद पर्व के दिन सभी लोग साफ-पाक होकर नए कपड़े पहनकर अपने अपने नजदीकी मस्जिदों में नमाज़ पढ़ते हैं।

ईद उल फित्र की तरह ईद उल ज़ुहा में भी ज़कात देना अनिवार्य होता है ताकि खुशी के इस मौके पर कोई गरीब महरूम ना रह जाए. हालांकि इस वर्ष कोविड-19 के चलते किसी एक जगह पर ज्यादा लोग इकट्ठा हो कर नमाज अदा नहीं कर पाएंगे। कोविड-19 के दौर में सरकार के दिशानिर्देशों को पालन करते हुए क्षेत्र के मुसलमान भाइयों ने भी यह तय किया है कि लोग अपने अपने घरों में रहकर ही बकरीद की नमाज अदा कर त्योहार को सोशल डिस्टेंसिंग में रहते हुए हंसी खुशी परिवार के संग मनाया गया।