क्या बिना शादी के पैदा हुआ बच्चा प्रॉपर्टी का हकदार होगा? जानिए क्या कहता है नियम

डेस्क : केरल उच्च न्यायालय के एक आदेश को तय करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि एक जोड़े के ‘नाजायज’ बच्चे जो बिना शादी किए लंबे समय तक साथ रहे हैं, उन्हें भी पारिवारिक संपत्ति का हिस्सा मिल सकता है। शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका पर विचार कर रही थी जिसमें वादी के माता-पिता ने शादी में शामिल न होने का हवाला देते हुए एक कथित नाजायज बच्चे की संपत्ति के दावे को खारिज कर दिया था।

बच्चे का संपत्ति का पूरा अधिकार : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों की शादी भले ही नहीं हुई हो, लेकिन दोनों लंबे समय से पति-पत्नी की तरह साथ रह रहे हैं। ऐसे में अगर उनका यह साबित हो जाता है कि बच्चा उन दोनों का ही है तो पिता की संपत्ति पर बच्चे का पूरी तरह से अधिकार होता है। पीठ ने अपने फैसले में यह साफ स्पष्ट किया, “यह अच्छी तरह से पता है कि अगर एक पुरुष और एक महिला काफी लंबे समय तक एक पति-पत्नी के रूप में एक ही साथ रह रहे हैं, तो इसे पुरी शादी के रूप में ही माना जाएगा।” पीठ ने स्पष्ट किया कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत ऐसा निष्कर्ष निकाला जा सकता है।

इसने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट ने रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों की जांच करने पर पाया कि दामोदरन और चिरुथाकुट्टी दंपति लंबे समय से एक साथ रह रहे थे। वादी के अनुसार, दामोदरन ने 1940 में चिरुथाकुट्टी से शादी की। हालांकि, उनके विवाह का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है। प्रथम वादी कृष्णन का जन्म वर्ष 1942 में हुआ था। न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा, “वादी द्वारा पेश किए गए दस्तावेज़ पक्षों के बीच विवाद पैदा होने से बहुत पहले अस्तित्व में थे। सबूत के साथ ये दस्तावेज़ दामोदरन और चिरुथकुट्टी के बीच पति और पत्नी के रूप में लंबे समय तक सहवास की अवधि को दर्शाते हैं। अदालत ने अपने पहले के आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि ‘कानून वैधता का पक्षधर है’