गर्व! जिस ऑफिस में माँ लगाती थी झाड़ू-पोछा, बेटा वहीं आया बड़ा अफसर बनकर..

डेस्क : “जिस काम में काम करने की हद पार न हो फिर वो काम किसी काम का नहीं I” ऐसा कर दिखाया है बिहार के एक होनहार बेटा ने। दरअसल, जिस ऑफिस में मां झाड़ू लगाया करती थी उसी ऑफिस में बेटा ऑफिसर बन कर आया है। ऑफिस की गंदगी साफ करते करते मां ने अपने बेटे को इतना स्वच्छ बना दिया कि वो उस स्वच्छ ऑफिस का ऑफिसर बन गया।

अभी तक आप फिल्मों में देखते आए होंगे कि अभिनेता पारिवारिक पृष्ठभूमि से अलग हट कर कुछ बड़ा हासिल करता है। इस केस में भी बेटा ने अभिनेता की तरह हीं सफलता हासिल की है। बस अंतर यह है कि फिल्मी अभिनेता टेक्नॉलॉजी के कमाल से अभिनय कर रहा होता है तो वही रियल जिंदगी का अभिनेता अपने संघर्ष और मेहनत के बदौलत कुछ हासिल कर रहा होता है। और शायद यही वजह है कि वह रंगमंच के किरदार हैं और बेटा असली जिंदगी के कलाकार है।

दरअसल या कहानी कुछ सावित्री देवी की है जो अरवल के अगिला की रहने वाली है। सावित्री देवी की जिंदगी बहुत ही चुनौती और संघर्षों से लबालब है। सावित्री देवी के पति पेशे से किसान हैं और नौकरी लगने से पहले सावित्री देवी गांव में ही एक छोटा सा किराना दुकान खोल कर अपने परिवार का भरण पोषण करती थी। वर्ष 1990 के दौरान जब बिहार में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की वैकेंसी निकली तो सावित्री देवी ने भी अप्लाई किया। सावित्री देवी की शैक्षणिक योग्यता आठवीं पास थी। सावित्री देवी को चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की नौकरी मिल गई। आर्थिक रूप से पिछड़े हुए इस परिवार के लिए यह बहुत बड़ी बात थी।

नौकरी मिलने के बाद उनके घर का भरण पोषण अच्छे से होने लगा। तब तक उनका बेटा भी दसवीं पास कर गया। सावित्री देवी की पहली पोस्टिंग बिहार सचिवालय में हुई। फिर 2003 में उन्हें जहानाबाद और 2006 में वापस पटना सचिवालय ट्रांसफर किया गया। इसी बीच उनका बेटा मनोज जहानाबाद अनुमंडल अधिकारी बनकर वापस आया। मनोज ने बताया पढ़ाई लिखाई के दौरान जब भी उनको अपनी मां से मिलना होता था वह यही जहानाबाद अनुमंडल कार्यालय में आते थे और अपनी मां से मिलते थे। तब ही उन्होंने फैसला किया कि मैं बड़े साहब की तरह कोई बड़ा अधिकारी बनकर यहां जरूर आऊंगा।

अनुमंडल अधिकारी मनोज ने बताया कि इस लक्ष्य में मां हमेशा प्रोत्साहन करती थी। इसी का नतीजा है कि जिस कार्यालय में मां से मिलने आया करता था आज उस कार्यालय में एसडीओ के पद पर कार्यरत हूं। इत्तेफाक देखिए मनोज कुमार की एसडीओ के रूप में पहली पोस्टिंग जहानाबाद में ही हुई है। मनोज कुमार ने अपने नौकरी की शुरुआत पटना के ग्रामीण विभाग में अधिकारी के तौर पर किया था। सावित्री देवी के अनुसार अपने बेटे को देखकर उन्हें बहुत ही गर्व होता है। मालूम हो कि सावित्री देवी वर्ष 2002 में पटना सचिवालय से सेवानिवृत्त हो चुकी है।