सुपर-30 के Anand Kumar को मिला पद्मश्री पुरस्कार, कभी पापड़ बेच करते थे गुजरा, आज गरीब बच्चों को Free में पढ़ा रहे

Anand Kumar : देश के उत्कृष्ट शिक्षकों में से एक आनंद कुमार (Anand Kumar) को पद्म पुरस्कार से नवाजा गया है। बुधवार को राष्ट्रपति भवन में सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार, सुभद्रा देवी और कपिलदेव प्रसाद को राष्ट्रपति द्रौपती मुर्मू ने पुरस्कार से सम्मानित किया। आपको बता दें कि 25 जनवरी को बिहार की इन तीन हस्तियों के नाम पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई थी।

सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार, पपीयर-मचे कला में उत्कृष्ट योगदान देने वाली सुभद्रा देवी और बावन बूटी कला को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले कपिलदेव प्रसाद को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया। बुधवार को भवन।

सुपर-30 की स्थापना 2002 में आनंद कुमार ने की थी। हर साल 30 गरीब मेधावी बच्चों का चयन कर उन्हें फ्री में आईआईटी की तैयारी करवाते हैं। उनके पढ़ने के साथ-साथ रहने, खाने और कॉपी-किताबों की भी नि:शुल्क व्यवस्था की जाती है। आनंद कुमार पर हाल ही में एक फिल्म भी बनी है, जिसे हिंदी समेत कई विदेशी भाषाओं में भी दिखाया गया है।

कपिलदेव प्रसाद ने बावन बूटी कला को एक पहचान दी है, उनके द्वारा इस कला से बनाई गई साड़ियां बहुत पसंद की जाती हैं। 15 साल की उम्र से ही वे बुनाई के काम से जुड़े हुए हैं। 55 साल से बुनकर का काम कर रहे कपिलदेव प्रसाद ने कई लोगों को ट्रेनिंग दी है। आज भी वे बावन हर्बल कलाओं का प्रशिक्षण दे रहे हैं।

गुड़िया बनाने से हुई शुरुआत : कला के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए मधुबनी की सुभद्रा देवी को पद्मश्री से भी नवाजा गया। सुभद्रा देवी पेपर मेश आर्टिस्ट हैं। बचपन में उन्होंने अपने घर में कागज की लुगदी का काम होते देखा था। जिसके बाद वह उससे गुड़िया और खिलौने बनाने लगी। यहीं से उन्होंने यह कला सीखी।