बिग बुल ऑफ इंडिया: जिस शेयर में हाथ लगाते थे उसे ऊंचाईयों के शिखर पर पहुंचा देते थे राकेश झुनझुनवाला

डेस्क : असलियत में पत्थर को सोना में बदल दे उसे पारस कहा जाता है। और भारतीय शेयर बाजार के पारस थे राकेश झुनझुनवाला। जिस भी शेयर पर राकेश झुनझुनवाला की नज़र पड़ती थी वो बुलंदियों तक पहुंचता था। हालांकि अच्छी किस्मत के कर उनके शेयर मार्केट की पेचीदगियों और इनसे निपटने के खास टैलेंट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

उन्हें कहीं बिग बुल कहा जाता है तो कोई उन्हें भारत का वॉरेन बफेट कहता। पर वो हमेशा से ही राकेश झुनझुनवाला ही बने रहे। आम सी दिखने वाले शेयर मार्केट के बिग बुल उर्फ राकेश झुनझुनवाला शेयर बाजार की इतनी बड़ी हस्ती थे कि जब भी जिनके निवेश घाटे में जा रहे होते उस समय भी राकेश झुनझुनवाला मुनाफा कमाते थे। पर इसका मतलब ये नहीं है कि उन्होंने मार्केट में नुकसान नहीं झेला। 2008 की आर्थिक मंदी के दौरान राकेश झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो में 30 तक की गिरावट आई थी। हालांकि अपनी प्रतिभा और सूझबूझ से उन्होंने 3-4 सालों में ही इसे रिकवर कर लिया।

यथार्थवादी थे राकेश झुनझुनवाला : राकेश झुनझुनवाला मानते थे कि ” मैं भले ही स्वभाव से आशावादी हूं लेकिन मैं भी गलत साबित होने का अधिकार रखता हूं”। उनकी एक बात जो मार्केट में भी मशहूर है कि “बाजार तो मौसम की तरह होता है,आपको पसंद ना भी आ रहा हो ,तो भी झेलना होगा।” जिससे पता चलता है कि झुनझुनवाला आशावादी तो थे ही साथ ही वो यथार्थवादी भी थे। उन्हे पता था कि जरूरी नहीं हर बार वो सही साबित हों।

मुनाफे में साथ कमाया नाम : राकेश झुनझुनवाला मार्केट में ऐसी हस्ती थे जो जिस शेयर में भी निवेश करते आमतौर पर मुनाफा ही कमाते। पर हमेशा इसे उनका भाग्य नहीं कहा जा सकता, इसे उनकी प्रतिभा और योग्यता कहा जाना बेहतर है। यदि उनके सबसे ज्यादा निवेश वाली कंपनियों की बात तो वो कंपनी के शेयर खरीदने पर उसके भविष्य को भी निश्चित ही देखते थे। उनके सर्वाधिक निवेशों में टाटा मोटर्स, स्टार हेल्थ और टाइटन जैसी कंपनियां शामिल हैं। उनके बाजार संबंधी अनुमान ने उन्हें जबदस्त ख्याति भी दी।