इंतजार हुआ खत्म, भारत में 5 राफेल की हुई लैंडिंग, जानिए कितने ख़ास हैं ये विमान

डेस्क : राफेल लड़ाकू विमान आज भारतीय वायुसेना का हिस्सा बन गया. भारतीय वायुसेना में राफेल विमान ने एंट्री ले ली है. यह विमान फ्रांस से 27 जुलाई को ही चल दिए थे लेकिन दुबई रुकने के बाद यह विमान बुधवार को भारत पहुंचा. इसकी जानकारी रक्षा मंत्री ने ट्वीट कर दी. यह भारतीय वायुसेना की क्षमता को एकदम से बढ़ा देंगे. अब तक लड़ाकू विमानों के लिए रूस पर निर्भर रह रहे भारत में अब यह नए दौर के यूरोपीय विमान अपने साथ नई तकनीक भी लाएंगे। रफाल वाकई में लाजवाब है इनका कोई तोड़ नहीं है।

द इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस(IDSA) में फाइटर जेट पर विशेषज्ञता रखने वाले एक विश्लेषक ने पहले कहा था,”कोई भी लड़ाकू विमान कितना ताकतवर है ये उसकी सेंसर क्षमता और हथियार पर निर्भर करता है. मतलब कोई फाइटर प्लेन कितनी दूरी से देख सकता है और कितनी दूरी तक मार सकता है.” रफाल इस मामले में आधुनिक लड़ाकू विमान है. भारत ने इससे पहले उन संस्थानों में 1997-1998 में रूस से सुखोई खरीदा था. सुखोई के बाद रफाल खरीदा गया. फ्रांस के साथ 36 साल विमान खरीदने का सौदा भारत में तो बेहद विवादित रहा था.लेकिन रफाल की विशेषताएं देखकर लगता है कि दुश्मनों के होश उड़ जाएंगे. इसका टारगेट भी बहुत अचूक है रफाल ऊपर,नीचे, अगल-बगल यानी हर तरफ निगरानी रखने में सक्षम है, मतलब इसकी विजिबिलिटी 36 डिग्री होगी. पायलट को बस विरोधी को देखना है और बटन दबा देना है बाकी काम कंप्यूटर कर लेगा. इसमें पायलट के लिए 1 हैमलेट होगा.

  1. राफेल विमान परमाणु मिसाइल डिलीवरी करने में सक्षम
  2. दुनिया के सबसे सुविधाजनक हथियारों को इस्तेमाल करने की क्षमता
  3. दो तरह की मिसाइलें.1 की रेंज डेढ़ सौ किलोमीटर दूसरी की रेंज करीब 300 किलोमीटर
  4. रफाल जैसा विमान चीन और पाकिस्तान के पास भी नहीं
  5. भारतीय एयरफोर्स के पास 51 मिराज 2000 हैं
  6. यह भारतीय वायु सेना के इस्तेमाल किए जाने वाले मिराज 2000 का एडवांस वर्जन है
  7. डस्सो एविएशन के मुताबिक रफाल की स्पीड मैक 1.8 है यानी करीब 2020 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार
  8. ऊंचाई 5.30 मीटर,लंबाई 15.30 मीटर,इसमें हवा में तेल भरा जा सकता है
  9. यह अब तक अफ़गानिस्तान, लिबिया, माली, इराक और सीरिया जैसे देशों में हुई लड़ाई में इस्तेमाल हुआ है।

कब हुआ था समझौता साल 2010 में यूपीए सरकार ने खरीदने की प्रक्रिया फ्रांस से शुरू की 2012 से 2015 तक दोनों देशों के बीच बातचीत चली ,2014 में यूपीए की जगह मोदी सरकार सत्ता में आई सितंबर 2016 में भारत ने फ्रांस के साथ 36 साल विमानों के लिए करीब 59 हजार करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए।