कामयाबी! Microsoft की नौकरी छोड़ विदेश से लौटा गांव, बिजनेस शुरू किया, आज जेब में है 600 करोड़..

डेस्क : “कौन कहता है आसमाँ में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों” दुष्यंत कुमार की यह पंक्ति हर उस होनहार के लिए सटीक बैठता है जिसके मन में कुछ बड़ा करने का जज्बा हो। जी हां हम बात कर रहे हैं एक ऐसे व्यक्ति की जिसने आसमाँ में सुराख करने के लिए पत्थर उछालने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा। माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी को छोड़ अपना स्टार्ट कर सफलता हासिल करना आसमाँ में सुराख करने जैसा ही है। अभी लेंसकार्ट के मालिक पियूष बंसल की बात हो रही हैं। ये संघर्ष का एक बड़ा उदाहरण हैं।

पियूष बंसल माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में कार्य कर रहे थे। उन्होंने अचानक से मन बनाया कि अपना कुछ शुरुआत किया जाए। उसके बाद विदेश से बाहर भारत लौट आए। साल 2010 में एक स्टार्टअप के तहत लेंसकार्ट की नींव रखी। उस वक्त इंटरनेट की इतनी सुविधा नहीं थी, उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। लेकिन आज वे एक बड़ा नाम बन चुके हैं। उनकी कंपनी का टर्नओवर 1000 करोड़ ऊपर से भी अधिक है।

कनाडा से लौट आए थे भारत : पियूष बंसल के पिता चार्टर्ड अकाउंटेंट रहे। वे चाहते थे उनका बेटा भी बड़ा व्यक्ति बने। इनको कनाडा भेज दिया गया वहां से उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद पियूष को माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी मिली। इस लाखों के पैकेज से खुश नहीं थे। इसलिए वे साल 2007 में भारत लौट आए उन्होंने पिता से स्टार्टअप की बात कही तो पिता नाराज हो गए फिर पियूष बंसल ने उन्हें समझा-बुझाकर मना लिया।

देश भर में है लेंसकॉर्ट का आउटलेट : पीयूष को अपना कुछ शुरू करना था। इसके लिए वह कड़ी मेहनत भी कर रहे थे। इंजीनियरिंग के छात्र होने के कारण उन्हें इसी से जुड़े कुछ करने का मन था। ऐसे में उन्होंने एक वेबसाइट तैयार की। मार्य कैंपस डॉट कॉम इसमें पार्ट टाइम, जॉब किताबों, छात्र हॉस्टल से जुड़े कई प्रकार की जानकारी उपलब्ध कराई जाती थी। इस वेबसाइट पर वे सफल भी रहे। लेकिन उन्हें और बड़ा करना था। इसके बाद उन्होंने एक साथ चार और वेबसाइट बनाई जिसमें एक लेंसकार्ट भी था। लेंसकार्ट को उन्होंने अधिक अहमियत दी और वे इसमें सफल है। पूरे देश भर में आज 1500 से ज्यादा आउटलेट उपलब्ध है। देश के अधिकांश शहरों में आपको लेंसकार्ट के आउटलेट मिल जाएंगे।