अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस : भारत के 9 ऐसे युवा TEACHERS की कहानी जिन्होने शिक्षा में लाया क्रांतिकारी बदलाव

डेस्क : किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी शक्ति उसके युवा होते हैं। भारत वास्तव मे बहुत ही भाग्यशाली राष्ट्र है जिसके पास कौशल से परिपूर्ण इतनी परिवर्तनात्‍मक और अभिलाषी युवाशक्ति है। मुझे हमारी युवा शक्ति पर पूर्ण विश्वास है कि वो प्रधानमंत्री मोदी जी के न्यू इंडिया के स्वप्न को साकार करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहेंगे। स्किल्ड और उत्साही युवाओं में अवसरों का सर्वश्रेष्ठ लाभ उठाने की क्षमता होती है। इसीलिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, मेक इन इंडिया और नई शिक्षा नीति जैसे अपने अभूतपूर्व निर्णयों से लगातार एक ऐसे इकोसिस्टम का निर्माण कर रही है जिसमे हमारे युवाओं की अपार क्षमताओं को और निखारा जा सके।

किसी भी देश का युवा उस देश की सबसे बड़ी ताकत होता है. ग्रेटा थनबर्ग से लेकर मलाला यूसुफजई तक दुनियाभर के युवाओं ने जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकारों के उल्लंघन और यहां तक ​​कि मौजूदा महामारी जैसे विभिन्न मुद्दों पर परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण बल रहे हैं।वैश्विक परिवर्तन लाने में युवाओं के योगदान को चिह्नित करने के लिए हर साल 12 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस (International Youth Day) मनाया जाता है। पहली बार 12 अगस्त 2000 को मनाया गया था। आज हम भारत के 9 ऐसे युवा TEACHERS की कहानी से आपको रुबरु करेंगे, जिन्होने शिक्षा में लाया क्रांतिकारी बदलाव।

बाबर अली

नौ साल की उम्र से पढ़ा रहे बाबर अली पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले बाबर अली ने उस उम्र से शिक्षक की भूमिका निभानी शुरू कर दी, जिस उम्र में लोग खुद पढ़ना सीखते हैं। जी हां! बाबर अली 9 वर्ष की उम्र से लोगों को पढ़ा रहे हैं। आज 23 साल के हो चुके बाबर अली किसी तरह से बनाए अपने स्कूल में 300 से ज्यादा गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं। इस काम के लिए उन्होंने 6 शिक्षकों को भी रखा है।

आदित्या कुमार

जहां छात्र दिखे वहीं क्लास लगा देते हैं साइकिल वाले गुरुजी ‘साइकिल गुरुजी’ के नाम से मशहूर साइंस ग्रेजुएट आदित्य कुमार शिक्षा के सच्चे वाहक और प्रसारक हैं। ये शिक्षा को उन जगहों तक पहुंचाते हैं, जहां तक स्कूलों की पहुंच नहीं। आदित्य हर रोज अपनी साइकिल पर सवार होकर 60-65 किलोमीटर सफर करके लखनऊ के आस-पास के इलाकों में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं। स्वयं एक गरीब परिवार में जन्मे आदित्य 1995 से यह अनोखा कार्य कर रहे हैं। आदित्य अपने साथ साइकिल पर ही एक बोर्ड लेकर घूमते हैं। जहां उन्हें कुछ छात्र मिलकर रोक लेते हैं, वे वहीं बैठकर पढ़ाने लगते हैं।

राजेश कुमार शर्मा

दिल्ली के मेट्रो ब्रिज के नीचे है राजेश कुमार शर्मा का स्कूल ‘अंडर द ब्रिज स्कूल’ के संस्थापक राजेश कुमार शर्मा दिल्ली के एक मेट्रो ब्रिज के नीचे लगभग 200 बच्चों का स्कूल लगाते हैं। उनके छात्र आस-पास की बस्तियों में रहने वाले बच्चे हैं, जिन्हें अपनी गरीबी के कारण कभी स्कूल जाने का सौभाग्य नहीं मिला। इनके स्कूल में भले ही कोई इमारत, कुर्सी या अन्य सुविधाएं न हों लेकिन बच्चों को शिक्षा अच्छी तरह दी जाती है। यह स्कूल इन्होंने 2005 से शुरू किया। कभी-कभी यहां कुछ चर्चित शख्सियतों को भी बुलाया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि राजेश कुमार पेशे से कभी शिक्षक नहीं रहे।

सुपर 30 वाले आनंद कुमार

बिहार के पटना जिले में रहने वाले शिक्षक आनंद कुमार न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया के इंजीनियरिंग स्टुडेंट्स के बीच एक चर्चित नाम हैं। इनका ‘सुपर 30’ प्रोग्राम विश्व प्रसिद्ध है। इसके तहत वे आईआईटी-जेईई के लिए ऐसे तीस मेहनती छात्रों को चुनते हैं, जो बेहद गरीब हों। 2018 तक उनके पढ़ाए 480 छात्रों में से 422 अब तक आईआईटीयन बन चुके हैं। आनंद कुमार की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि डिस्कवरी चैनल भी उन पर डॉक्यूमेंट्री बना चुका है। उन्हें विश्व प्रसिद्ध मेसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और हार्वर्ड युनिवर्सिटी से भी व्याख्यान का न्योता मिल चुका है।

सिर्फ एक रुपया गुरुदक्षिणा वाले आरके श्रीवास्तव

बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आरके श्रीवास्तव देश मे मैथेमैटिक्स गुरू के नाम से मशहूर है । चुटकुले सुनाकर खेल खेल में जादूई तरीके से गणित पढाने का तरीका लाजवाब है। कबाड़ की जुगाड़ से प्रैक्टिकल कर गणित सिखाते हैं। सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर स्टूडेंट्स को पढाते हैं, सैकङों आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी,एनआईटी, बीसीईसीई सहित देश के प्रतिष्ठित संस्थानो मे पहुँचाकर उनके सपने को पंख लगा चुके हैं। वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्डस और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड मे भी आरके श्रीवास्तव का नाम दर्ज है।

रास्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कर चुके है आर के श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्य शैली की प्रशंसा। इनके द्वारा चलाया जा रहा नाइट क्लासेज अभियान अद्भुत, अकल्पनीय है। स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने लिये 450 क्लास से अधिक बार पूरे रात लगातार 12 घंटे गणित पढा चुके है। सैकङों से अधिक बार इनके शैक्षणिक कार्यशैली की खबरे देश के सारे प्रतिष्ठित अखबारों में छप चुके हैं, विश्व प्रसिद्ध गूगल ब्वाय कौटिल्य के गुरु के रूप मे भी देश इन्हें जानता है। आरके श्रीवास्तव का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ ऑफ़ रिकॉर्डस लंदन , इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स, गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हो चुका है । रास्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी कर चुके हैं बिहार के आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक कार्यशैली कार्यशैली की प्रशंसा

रोशनी मुखर्जी का चलता है ऑनलाइन स्कूल

बैंगलुरु से ताल्लुक रखने वाली डिजिटल टीचर रोशनी मुखर्जी न तो कहीं पढ़ाने जाती हैं, न उन्होंने कोई स्कूल खोल रखा है। इसके बावजूद वे हजारों स्टूडेंट्स की फेवरेट टीचर हैं। असल में रोशनी ने अपना ऑनलाइन एजूकेशन प्लेटफॉर्म बना रखा है, जिसका लाभ हजारों विद्यार्थी उठा रहे हैं। ये अपने वीडियो यू-ट्यूब पर अपलोड करती हैं, जिनकी मदद से स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं। उन्हें अपने विद्यार्थियों से लगातार फीडबैक भी मिलता है।

अलख पांडेय

यूट्यूब सोशल मीडिया का वो प्लेटफॉर्म जो कई लोगों की सक्सेस का मंत्र बन रहा है. इसी यूट्यूब से भारत का एक लड़का अपने देश में तो फेमस हो ही गया है लेकिन पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी उसके लाखों फैन बन गए हैं. हम बात कर रहे हैं यूट्यूब के फिजिक्स वाले अलख पांडे की. जिन्होंने महज दो सालों में देश-विदेश में अपनी पहचान बना ली है. यूपी के प्रयागराज के अलख पांडे ने अपने शानदार काम से पाकिस्तान में तो धूम मचाई ही है साथ में नेपाल, बांग्लादेश और सऊदी अरब के स्टूडेंट्स और युवा भी इनके फैन बन गए हैं.

पेशे से अलख पांडे यूट्यूब पर फ्री फिजिक्स और केमिस्ट्री कोचिंग के वीडियो डालते हैं. एक तरह से अलख लाखों बच्चों को फिजिक्स और केमिस्ट्री की फ्री ऑनलाइन कोचिंग देते हैं. महज 2 सालों में उनके यूट्यूब चैनल के सब्सक्राइबर 19 लाख से ज्यादा हो चुके हैं. अलख की पोपुलरिटी का आइडिया आप इस बात से लगा सकते हैं कि उनके एक वीडियो पर 22 मिलियन व्यूज हैं. इसी के साथ अब अलख दुनिया के सबसे फेमस ऑनलाइन टीचरों में शामिल हो गए हैं. जेईई-मेन्स, जेईई-एडवांस्ड, इंजीनियरिंग एंटरेंस इग्जाम के साथ ही नीट, मेडिकल एंटरेंस की तैयारी करने वाले देश-दुनिया के औसतन 2 करोड़ 20 लाख स्टूडेंट हर महीने उनके वीडियो देखते हैं. अलख का फिजिक्स समझाने का जो तरीका है स्टूडेंटस उसे ज्यादा पसंद करते हैं।

ममता मिश्रा

सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका ममता मिश्रा के पढ़ाने के तरीकों से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इतने प्रभावित हुए की उन्होंने रेडियो प्रोग्राम मन की बात में उनके प्रयासों की सराहना करते हुए उनकी तारीफ की और बाद में उनकी हौसलाअफजाई करते हुए उन्हें एक पत्र भी लिखा था। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के ही विकासखंड चाका स्थित एक सरकारी माध्यम परिषदीय विद्यालय में बतौर शिक्षिका अपनी सेवाएं दे रही ममता मिश्रा के पढ़ाने के तरीकों से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इतने प्रभावित हुए की उन्होंने रेडियो प्रोग्राम मन की बात में उनके प्रयासों की सराहना करते हुए उनकी तारीफ की और बाद में उनकी हौसलाअफजाई करते हुए उन्हें एक पत्र भी लिखा था। आज ममता मिश्रा की सरकारी स्कूल के बच्चों को क्षेत्र के निजी स्कूल के बच्चों के बराबर आंका जाता है। और हो भी क्यों न, ममता का पढ़ाने का तरीका ही कुछ ऐसा है कि हर-एक बच्चा पढ़ाई में अव्वल है।

निरंजन झा

बिहार के पूर्णिया जिले के रहने वाले दृष्टिहीन शिक्षक निरंजन झा खुद दृष्टिहीन होने के बावजूद भी बच्चों के बीच शिक्षा का दीप जला कर समाज के लिए एक मिसाल पेश कर रहे हैं। पूर्णिया शहर के गुलाबबाग शानिमंदिर मोहल्ले में टीन के शेड में गरीबी की दंश झेल रहे 37 वर्षीय दिव्यांग निरंजन झा आज के दिनों में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। लोग निरंजन को मास्टर साहब के नाम से सम्मान के साथ पुकारते हैं। निरंजन ने लुई ब्रेल की कहानी से प्रेरणा ली और ब्रेल लिपि से पढ़ना सीखा। कुछ दिनों तक तो उन्होंने एक स्कूल चलाया लेकिन बाद में घर पर ही ट्यूशन पढ़ाने लगे। निरंजन ने अपने इस दृष्टिहीन दिव्यांगता को खुद पर कभी हावी नहीं होने दिया और आज तक न हीं कभी अपने परिवार तथा समाज पर बोझ बने। इन्होंने अपने सामने आने वाली हर-एक बाधा को बखूबी अपने अंदाज़ में हल किया। ये अपने अदम्य हौसले की बदौलत समाज में सम्मान के साथ जी रहे हैं।