अगर उड़ते प्लेन का नेटवर्क फेल हो जाए तो कैसे होगा लैंडिंग, जानिए- पायलट की बड़ी चुनौती….

डेस्क : हवाई जहाज पर चढ़ना आज भी लोगों के तमाम सपनों में एक होता है। हर माध्यम वर्गीय लोगों के मन में यह जरूर रहता है कि वो हवाई यात्रा करें। ऐसे में हवाई यात्रा के दौरान सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती होती है। लेकिन पायलट (Pilot) अपने सूझ-बुझ से किसी भी परिस्थिति में सफल लैंडिंग के लिए प्रयासरत रहता है। लेकिन जब यात्रा के दौरान नेटवर्क लगातार फेल हो रहा हो तो विमान कैसे उतरेगा? क्या ऐसे कोई प्रोटोकॉल हैं जिनका पायलटों को पालन करना होता है?

क्या है सुरक्षित लैंडिंग की प्रक्रिया

यदि हवाई जहाज और टावर के बीच सभी संचार टूट जाता है, तो पायलट को विशिष्ट प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है। इसके लिए उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है। इन प्रोटोकॉल को ‘लॉस्ट कम्युनिकेशन प्रोसीजर्स’ कहा जाता है। इन्हें विमान की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

इन प्रक्रियाओं में पहला कदम पायलट के लिए एक अलग आवृत्ति या संचार विधि का उपयोग करके टावर के साथ संचार को फिर से स्थापित करने का प्रयास करना है। यदि यह संभव नहीं है, तो पायलट निकटतम हवाई अड्डे के लिए पूर्व-निर्धारित उड़ान योजना का पालन करेगा।

प्रक्रिया के मुताबिक पायलट यात्रियों को स्थिति की जानकारी भी देगा। उन्हें आश्वस्त करेंगे कि वे सुरक्षित उतरेंगे। इन प्रक्रियाओं के अलावा, पायलट विमान के उपकरणों और नेविगेशन सिस्टम की भी निगरानी करेगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे ठीक से काम कर रहे हैं।

किसी हवाई जहाज का टावर से संपर्क टूट जाना कोई असामान्य बात नहीं है, लेकिन ऐसा पहले भी हो चुका है। ऐसे मामलों में पायलटों ने ‘लॉस्ट कम्युनिकेशन प्रोसीजर’ का पालन किया और विमान को सुरक्षित उतार लिया। दरअसल, वाणिज्यिक विमानन का सुरक्षा रिकॉर्ड बहुत ऊंचा है। दुर्घटना होने की संभावना बहुत कम है।