Harmanpreet Kaur : कभी गांव में लड़कों संग खेलती थी क्रिकेट, अब दुनियाभर में बनाई पहचान..

Harmanpreet Kaur: अब देश में बेटा-बेटी का फर्क धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। लड़कियां साबित कर रही हैं कि वे लड़कों से कम नहीं हैं। क्रिकेट से लेकर अन्य खेलों में लड़कियों की बढ़-चढ़कर भागीदारी होती है। इसी कड़ी में आज हम बात कर रहे हैं महिला क्रिकेट टीम की बेहतरीन खिलाड़ी हरमनप्रीत कौर की। हरमनप्रीत कौर आज बुलंदियों पर हैं। लेकिन हरमनप्रीत के लिए यह आसान नहीं था। उन्होंने कई चीजों का सामना करके यह सफलता हासिल की है। आइए जानते हैं विस्तार से।

लोगों ने कही कई बातें : कुछ लोगों के लिए बेटे और बेटी में फर्क होता है। यही वजह है कि 8 मार्च 1989 को हरमनप्रीत के जन्म के बाद कई रिश्तेदारों के चेहरे उतर गए। इतना ही नहीं हरमनप्रीत के पिता हरमिंदर सिंह भुल्लर ने एक बार मीडिया से बात करते हुए कहा था, ‘कई लोगों को हरमनप्रीत का क्रिकेट खेलना पसंद नहीं था। कुछ रिश्तेदारों को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया।’

अंजुम चोपड़ा के साथ एक साक्षात्कार में, हरमनप्रीत कौर ने परिवार के समर्थन के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने इंटरव्यू में बातचीत के दौरान बताया कि उन्हें हमेशा परिवार का साथ मिला, जिसके बिना वह इस मुकाम की कल्पना नहीं कर सकतीं। समाज चाहे कुछ भी सोच रहा हो, लेकिन परिवार का साथ होना बहुत जरूरी है, हनीप्रीत की कहानी में परिवार के साथ रहने की मिसाल पेश की है।