Gyanvapi Survey : सर्वे से सामने आएगा ज्ञानवापी का सच? खुलेगा पुराना राज

Gyanvapi Survey : वाराणसी की ज्ञानवापी सर्वे (Gyanvaapi)को लेकर काफी लम्बे समय सुनवाई चल रही थी और 21 जुलाई को इलाहबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी सर्वे की इजाजत दे दी थी और 4अगस्त तक इसकी रिपोर्ट सौंपने को भी कहा था।

शुक्रवार को भारतीय पुरातत्व विभाग ने अपना सर्वेक्षण शुरू किया है, जिसमें ये पता लगाया जाएगा की मस्जिद कितनी पुरानी है और क्या इसमें विश्वेशर मंदिर के होने के साक्ष्य मौजूद हैं।

कैसे किया जायेगा सर्वे.? इस प्रक्रिया में जहां पहले ये कयास थे कि खुदाई या किसी तरह की तोड़ फोड़ की प्रक्रिया को अपनाया जाएगा लेकिन इस सर्वेक्षण में किसी भी तरह से कोई इस तरह की प्रक्रिया नहीं अपनाई जाएगी।

ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के लिए एएसआई की 61 सदस्यीय टीम के 53 सदस्य मौजूद थे होंगे। कल ज्ञानवापी का पूरा माप तैयार किया गया और माप भी लिए गए, जिसमें 7 घंटे का समय लगा और कुछ सबूत भी इक्कठे किए गए और वीडियोग्राफी रिकॉर्डिंग के आधार पर ये सर्वेक्षण किया जा रहा है, पुरातत्व विभाग को इसकी रिपोर्ट कोर्ट को सौपनी है तो इसीलिए अभी एएसआई टीम कोई भी टिप्पणी करने से बच रही है।

इस सर्वेक्षण में दोनों पक्षों के वकील, और आठ आठ लोग शामिल हैं। वहीं विश्वनाथ के गेट नंबर चार पर भी सुरक्षा चाक चौबंद कर दी गई है।

आज सर्वेक्षण के जरिए गुम्बद और बाकी हिस्सों की जांच की जाएगी।

ज्ञानवापी सर्वे पर रोक लगाने वाली अपील सुप्रीम कोर्ट के खारिज कर दी है और कहा है कि इस सर्वे से आपको क्या समस्या है। इससे दोनो पक्षों को न्याय ही मिलेगा।

कितने साक्ष्य मिले अब तक.? ऐसा दावा किया जा रहा है कि सर्वेक्षण में हिंदू चिन्ह मिले हैं लेकिन पुरातत्व विभाग ने इसपर कोई भी टिप्पणी नहीं की है।

साथ ही पुरातत्व विभाग ने रिपोर्ट सौंपने के लिए अधिक समय की मांग भी की है क्योंकि उनका मानना है इसमें समय लग सकता है।

नेताओं की प्रतिक्रिया

एआईएमए नेता ओबैसी ने कहा “एक बार जब ज्ञानवापी की एएसआई रिपोर्ट सार्वजनिक हो जाएगी, तो कौन जानता है कि चीजें कैसे आगे बढ़ेंगी। आशा है कि न तो 23 दिसंबर और न ही 6 दिसंबर की पुनरावृत्ति होगी। पूजा स्थल अधिनियम की पवित्रता के संबंध में अयोध्या फैसले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का अनादर नहीं किया जाना चाहिए। आशा यह है कि एक हजार बाबरियों के लिए द्वार नहीं खोले जाएंगे।”

हाल ही में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा था कि उसे (ज्ञानवापी) मस्जिद नहीं कहना चाहिए।