न्यूज डेस्क: देशभर में स्वच्छता अभियान को लेकर लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है, और सरकार भी लोगों से अपने आसपास साफ रखने की अपील करती रहती है। लेकिन, शहरों से लेकर रेलवे स्टेशनों तक आम लोग गंदगी फैलाने से बाज नहीं आ रहे हैं, जिससे सरकार को परेशानी हो रही है। इतने प्रयासों के बाद भी सार्वजनिक स्थानों पर गुटखा थूकना अब एक आम बात हो चली है।
यह आंकड़ा किसी को भी हैरान कर सकता है, लेकिन देश में रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों की संख्या के साथ-साथ यात्रियों की संख्या को देखते हुए यह राशि उचित ही लगेगी । कोरोना काल में लोगों से साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने को कहा गया, इसके बावजूद लोगों ने अपने व्यवहार में बिल्कुल भी सुधार नहीं आया। यात्रियों को रेलवे परिसर में थूकने से रोकने के लिए 42 स्टेशनों पर वेंडिंग मशीन या कियोस्क स्थापित किए गए, जो 5 रुपये से लेकर 10 रुपये तक के स्पिटून पाउच प्रदान करते हैं।
ऐसा अनुमान है कि भारतीय रेलवे अपने परिसरों, विशेषकर पान और तंबाकू उपयोगकर्ताओं द्वारा थूकने से होने वाले दाग-धब्बों और निशानों को साफ करने के लिए सालाना लगभग 1,200 करोड़ रुपये और बहुत सारा पानी खर्च करता है।
क्या है स्पिटून वेंडिंग मशीन?
सभी रेलवे स्टेशनों पर अब ‘स्पिटून वेंडिंग मशीन’ होगा यह एक तरह का पॉकेट साइज का पैकेट है जिसमे थूकदान उपलब्ध होगा। इसे तंबाकू खाने वाली जनता ₹5 और ₹10 में खरीद सकती है। स्पिटून पाउच में मैक्रोमोलेक्यूल पल्प तकनीक होगी। इसमें एक ऐसी सामग्री भी होती है जो बैक्टीरिया और उसमें थूकने वाले वायरस से भरी लार के साथ मिल जाती है। अंदर, थूक इसे अवशोषित करेगा और इसे एक ठोस सामग्री में बदल देगा। यह, बदले में, बीज के रूप में कार्य करेगा जो एक बार फेंके जाने पर मिट्टी के साथ मिल जाएगा और एक पौधे में विकसित हो जाएगा।