Ram Mandir तोड़ने वाले मीर बाकी को मारने वाली महारानी के वंशज को मिला निमंत्रण….

Ayodhya Ram Mandir : 22 जनवरी को रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा है, लेकिन राम मंदिर निर्माण से पहले के संघर्ष को नहीं बुलाया जा सकता है। राम मंदिर को बचाने के लिए राजा रणविजय सिंह ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। इसके बाद उनकी पत्नी महारानी जयाकुमारी ने महिलाओं की सेवा करके इस लड़ाई को जारी रखा। और कई महीनों तक युद्ध छेड़ा।

इस युद्ध में उन्होंने बाबर के सेनापति मीर बाकी को मार डाला और राम मंदिर पर कब्ज़ा कर लिया। इसकी सूचना जैसे ही मुगल शासक बाबर को मिली तो उसने बड़ी सेना लेकर रानी पर हमला कर दिया, जिसमें लड़ते-लड़ते वह वीरगति को प्राप्त हो गईं। आज इसी राजपरिवार के एक वंशज को प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण मिला है।

हंसवर स्टेट के महाराज के इस योगदान को देखते हुए महाराज के वंशज नरेंद्र मोहन सिंह उर्फ ​​संजय सिंह को 22 जनवरी को होने वाले प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण मिला है।नरेंद्र मोहन सिंह वर्तमान में बसखारी ब्लॉक के ब्लॉक प्रमुख भी हैं। संजय सिंह ने बताया कि अयोध्या में महारानी की तस्वीर भी लगाई गई है। संजय सिंह ने कहा कि यह ऐतिहासिक दिन है। ऐसे उत्सव में भाग लेकर वे सौभाग्यशाली हैं।

यह है पूरी कहानी

यह 1527 से 1529 के आसपास की बात है, जब बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा राम मंदिर को तोड़ा जा रहा था, तब हंसवर राज्य के राजा रणविजय सिंह अपनी सेना की एक छोटी सी टुकड़ी लेकर राम मंदिर को बचाने के लिए निकल पड़े। बिगुल बजा दिया गया। लेकिन उस समय की सैन्य क्षमता और आधुनिक हथियारों की कमी के कारण वे अंततः बाबर की सेना के सामने टिक नहीं सके और हार गये। महाराजा वीरगति को प्राप्त हुए।

लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी महारानी जया कुमारी ने अपनी महिला सैनिकों की एक छोटी टुकड़ी बनाई। फिर जब बाबरी मस्जिद का निर्माण शुरू हुआ तो एक बार फिर हंसवर राज्य की इस वीरांगना ने बाबर की सेना से लोहा लिया और कई महीनों तक युद्ध किया। इस युद्ध में बाबर का सेनापति मीर बाकी मारा गया। उसके बाद रानी ने रामलाल के मंदिर पर कब्ज़ा कर लिया।