प्राइवेट ट्रेनों का किराया कंपनियां खुद करेगी तय, सरकार का नहीं होगा कोई दखल…

डेस्क : सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए प्राइवेट कंपनियों को ये अधिकार दे दिया है कि वे खुद ही प्राइवेट ट्रेन का किराया तय करें। प्लेन की तरह पैसेंजर्स को मर्जी की सीट के बदले एक्स्ट्रा पे करना होगा। इससे होने वाली कमाई में रेलवे की भी हिस्सेदारी होगी। एयरलाइन्स की तरह प्राइवेट ट्रेन में भी मर्जी की सीट, बैगेज और ऑन-बोर्ड सर्विस के लिए आपको एक्स्ट्रा पे करना होगा।

इससे होने वाली कमाई ग्रॉस रेवेन्यू के तहत काउंट होगी और रेलवे के साथ ग्रॉस रेवेन्यू का बंटवारा होगा। प्राइवेट ट्रेन को लेकर रेलवे ने हाल ही में प्राइवेट कंपनियों से प्रपोजल (रिक्वेस्ट फॉर क्वॉलिफिकेशन यानी RFQ) मांगा था। प्राइवेट कंपनियों को फाइनैंशल कपैसिटी के हिसाब से अपने RFQ में रेवेन्यू शेयरिंग की जानकारी देनी होगी।रेलवे ने यह प्राइवेट कंपनियों पर छोड़ा है कि वह ट्रेन का किराया तय करें। इसके अलावा रेवेन्यू जेनरेट करने के लिए वे अलग-अलग तरह के विकल्पों के बारे में विचार करने और फैसला करने में स्वतंत्र होंगे।

साल 2023 तक 109 रूटों पर प्राइवेट ट्रेन चलाने की दिशा में रेलवे तेजी से कदम बढ़ा रहा है।सभी 109 रूटों पर 151 मॉडर्न प्राइवेट ट्रेनें चलाई जाएंगी रेलवे ने पहली बार देश भर में 109 रूटों पर 151 मॉडर्न प्राइवेट ट्रेनें चलाने को लेकर निजी कंपनियों से प्रस्ताव आमंत्रित किये हैं। इस परियोजना में निजी क्षेत्र से करीब 30,000 करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है। निजी कंपनी कहीं से भी इंजन और ट्रेन खरीदने के लिये स्वतंत्र होगी बशर्तें वे समझौते के तहत निर्धारित शर्तों एवं मानकों को पूरा करते हों। हालांकि समझौते में निश्चित अवधि तक घरेलू स्तर पर होने वाले उत्पादन के जरिये खरीदने का प्रावधान होगा। पिछले दिनों रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने कहा था कि सरकार ने केवल 5 फीसदी ट्रेनों के निजीकरण का फैसला किया है। यह पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत होगा। बाकी 95 फीसदी ट्रेनें रेलवे की तरफ से ही चलाई जाएंगी। भारतीय रेल अभी करीब 2,800 मेल या एक्सप्रेस रेलगाड़ियों का परिचालन करती है। इन सबके अलावा मेंटेनेंस का खर्च भी कम होगा।