डेस्क : जब भी आप ट्रेन में बैठे होंगे तो आपने महसूस किया होगा कि ट्रेन में एक के बाद एक झटके लगते हैं। साथ ही साथ ट्रेन चलते वक्त बहुत ज्यादा शोर करती है, हालांकि ट्रेन में किसी भी प्रकार से गियर बदलने की कोई प्रक्रिया नजर नहीं आती लेकिन फिर भी उसमें बहुत तेज झटके लगते हैं।
ट्रेन में सफर करते वक्त आपने कई बार झटके खाए होंगे। ऐसे में कभी-कभी झटके इतने ज्यादा बढ़ जाते हैं कि रात में सोते वक्त ठीक से नींद नहीं आती।बता दें कि भारतीय रेलवे की ट्रेन जब चलती है तो दूर से ही एहसास हो जाता है कि ट्रेन आ रही है। ऐसे में लोग सतर्क हो जाते हैं लेकिन जब बाहर के देश में ट्रेन चलती है तो किसी को पता भी नहीं चलता और काफी तेज गति में निकल जाती है।
भारतीय रेलवे ट्रेक्स की स्थिति बाहर के देशों के मुकाबले इतनी अच्छी नहीं है। कई-कई जगह पर रेलवे ट्रैक अलग होते हैं और उनको सिर्फ जुगाड़ से जोड़ा जाता है। ऐसे में अक्सर पटरिया ऊपर नीचे होती रहती हैं। जब यह पटरियां 50% से ज्यादा खराब स्थिति में होती है तब इनकी मरम्मत की जाती है। ऐसे में ज्यादातर पटरी आपको सामान्य स्थिति से थोड़ी बुरी हालत में नजर आती हैं।
अक्सर ही जब टूटी हुई पटरी को जोड़ा जाता है, तो वह सामान्य लेवल पर नहीं आ पाती है। इसी कारण ट्रेन की पटरी पर वाइब्रेशन आने लगती है। ट्रेन के ट्रैक पर अक्सर ही घुमाओ दार मोड़ होता है जिसके कारण वाइब्रेशन होता है। दरअसल रेल की पटरी में बहुत बड़े स्तर पर घुमाउदार मोड़ देखने को मिलते हैं। कभी-कभी ट्रेन मैं पैसेंजर कम होते हैं जिसके चलते वह बहुत ज्यादा शोर करती है। जब पैसेंजर का वजन बढ़ जाता है तो ट्रेन में कम आवाज आती है। भारतीय रेलवे का डीजल लोकोमोटिव चलते-चलते पावर स्टेशन की तरह काम करता है ऐसे में यदि लोकोमोटिव बिजली का है तो उसमें कोई झटके नहीं लगते।