क्या आपको भी सूरज की तरफ देखने से छींक आती है ? जान लें इसके पीछे की वजह

डेस्क : अक्सर ही जब आप धुप में निकलते होंगे तो उसकी तरफ जैसे ही नजर पड़ती होगी तो छींक आ जाती होगी। कुछ लोगों की जब छींक अटक जाती है तो भी वह सूरज की तरफ देखते हैं और ऐसा करने से उनको छींक वापस आ जाती है। इस पूरे प्रोसेस को सन स्नीजिंग कहते हैं। ऐसा तब होता है जब कोई व्यक्ति तेज रोशनी की तरफ देखता है।

18 साल से 35 साल की उम्र वाले लोगों में यह समस्या देखी गई है, तो आइए जानते हैं आखिर क्यों सूरज के आगे आने से चींख आती है।

डॉक्टर बेंजामिन का कहना है की यह एक हेरिडिटरी प्रक्रिया होती है जिसके तहत माता पिता से आए जींस में म्यूटेशन होता है। यह समस्या ज्यादातर माँ बाप से बच्चों में आती है। डॉक्टरों को भी इसकी कोई सटीक वजह नहीं पता चली है। इसके लेकर एक यह थ्योरी भी दी जाती है की जब गर्म रोशनी नाक के छिद्र में जाती है तो अपने आप छींक आती है। यह थेओरी ग्रीक से 350BCE में आई थी।

17वी शताब्दी में यह तर्क फेल हो गया और इंग्लैंड से एक नया तर्क आया जिसमें कहा गया की छींक आने के लिए आँखों की आवश्यकता होती है। ऐसे में जब आँखें बंद होती है, तो नाकों में एक सनसनी होती है जिसके जरिए छींक शुरू हो जाती है। प्रकाश के बदलते समय अक्सर ही आँख और नाक की कोशिकाओं में बदलाव आता है जिससे अक्सर छींक आ जाती है। फिलहाल तो आजतक सन स्नीजिंग की कोई ख़ास वजह पता नहीं चल पाई है लेकिन वैज्ञानिक डॉ. हेनरी एवरेट ने कहा की जब सूरज की रौशनी आँखों की पुतलियों पर पड़ती है तो वह सिकुड़ती है और दिमाग की नसों में संकेत जाता है, जिसको वह समझ नहीं पाता और छींक आती है।

इस तरह की छींक बिलकुल भी नुक्सान नहीं देती। जब कोई ड्राइवर या फिर पायलट को ऐसी छींख बार बार आए तो परेशानी हो सकती है।

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