अंतिम संस्कार से पहले जूते-चप्पलों से क्यों पीटा जाता है किन्नर का शव?  जानें- यह रोचक तथ्य..

डेस्क : देश में किन्नरों के आशीर्वाद को बहुत शुभ और शक्तिशाली माना जाता है। यही कारण है कि लोग शुभ कार्यों में बरकत मांगने के लिए किन्नरों को बुलाते हैं। लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जो किन्नरों को हेय दृष्टि से देखता है। ऐसे में किन्नरों को समाज में काफी संघर्ष करना पड़ता है।

किन्नर होना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। इन्हें अपने जीवन में कई तरह के संघर्षों से गुजरना पड़ता है। लोगों को आशीर्वाद देने के बाद भी अपमानित होना पड़ता है। उनका जीवन एक रहस्य है। इनमें से एक बात जो काफी चर्चा का विषय बनी हुई है वो ये है कि क्या सच में किन्नरों को अंतिम संस्कार से पहले चप्पलों से पीटा जाता है? आइए आज जानते हैं कि ऐसी कौन सी परंपरा है कि मृत्यु के बाद किन्नरों को चप्पलों से मारा जाता है।

आम लोगों से अलग है जिंदगी

किन्नरों की जीवनशैली और रीति-रिवाज से लेकर उनके अंतिम संस्कार तक अनोखे होते हैं। इनके पास आध्यात्मिक शक्ति मानी जाती है, जिसके कारण इनकी मृत्यु पहले ही हो सकती है। ऐसा कहा जाता है कि जब भी किसी किन्नर की मृत्यु होती है तो वह यात्रा करना बंद कर देता है। वे अपनी मृत्यु के समय भोजन भी नहीं करते हैं, बल्कि केवल पानी पीते हैं और भगवान से अपने और अन्य किन्नरों के लिए प्रार्थना करते हैं कि वे अगले जन्म में किन्नर न बनें।

क्या सच में चप्पल से पीटा जाना सच है?

ऐसा माना जाता है कि किन्नरों की शव यात्रा रात के समय निकाली जाती है। इन्हें जलाने की बजाय गाड़ देना बेहतर माना जाता है। मृत शरीर को सफेद कपड़ों में लपेटा जाता है, इस बात का ख्याल रखते हुए कि शरीर किसी भी बंधन से मुक्त रहे, ताकि आत्मा स्वतंत्र महसूस कर सके। ऐसे रीति-रिवाजों को पूरा करने के लिए वे देर रात तक शव यात्रा निकालते हैं।

उनके समुदाय के लोग शव को जूते-चप्पलों से पीटते हैं ताकि यह माना जा सके कि मृतक किन्नर को अगले जन्म में किन्नर न बनना पड़े। शव के पास खड़े होकर वे अपने देवता को धन्यवाद देते हैं और दान-पुण्य भी करते हैं।