देश में 76 वां गणतंत्र दिवस मनाने को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील करते हुए हर घर तिरंगा फहराने की बात कही, तो वहीं दूसरी ओर आजादी के अमृत महोत्सव की खुशियां मनाने के लिए लोग भी बेताब हैं. अगस्त को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले पर भारत का तिरंगा फहराकर आजादी का जश्न देश के बीच मनाएंगे.
देश में गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस एक पर्व के रूप में लोग मानते हैं. लेकिन गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश की महामहिम राष्ट्रपति द्वारा ठंडा फहराया जाता है तो वही स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा झंडा रोहण किया जाता है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों होता है झंडा एक ही तो इसे फहराने के लिए दो अलग-अलग लोग क्यों लिए जानते हैं?
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के झंडारोहण में अंतर क्यों ?
26 जनवरी को देश में देश का सबसे बड़ा पर्व गणतंत्र दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन देश को उसका 1950 में संविधान मिला था. जबकि 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ था जैसे लोग एक पर्व के रूप में मनाते हैं इस खास दिन का लोग बेसब्री से इंतजार करते रहते हैं.
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम ही झंडा क्यों फहराते हैं ?
15अगस्त 1950 को भारत पूर्ण रूप से आजाद हो चुका था, इसीलिए भारत में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. लेकिन खास बात यह है की स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के प्रधानमंत्री द्वारा ही झंडारोहण किया जाता है. ऐसा इसलिए होता है.
क्योंकि उस समय 15 अगस्त तक देश में कोई संविधान लागू नहीं था इसीलिए राष्ट्रपति के पद पर कोई नियुक्त नहीं था. इसीलिए मौजूदा प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने झंडा फहराया था और तब से यह परंपरा चली आ रही है. और गणतंत्र दिवस पर देश में देश को उसका संविधान मिलने के बाद राष्ट्रपति द्वारा झंडा फहराया जाता है.