आखिर ‘हिन्दू धर्म’ की महिलाएं क्यों नहीं जाती हैं श्मशान घाट? जानें- इसके पीछे की वजह…

हर धर्म की अपने कुछ मान्यताएं और अपनी संस्कृति होती है वेद पुराणों में लिखी हुई बातें ही व्यक्ति अपने जीवन में उतरता है। आज हम गरुड़ पुराण में लिखी एक मान्यता के बारे में बात करने वाले हैं। आप सभी ने देखा या सुना होगा कि जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उसका दाह संस्कार करने के लिए उस व्यक्ति को शमशान घाट लेकर जाया जाता है, तो उस वक्त उस स्थान पर केवल पुरुष ही मौजूद होते हैं पर ऐसा क्यों होता है? आइए जानते हैं कि आखिर शमशान घाट में महिलाओं का आना वर्जित क्यों है?

महिलाओं पर आ सकता है भूत प्रेत का साया

ऐसा कहा जाता है कि शमशान घाट में कई प्रकार की भूत प्रेत भटकते रहते हैं ऐसे में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं मानसिक रूप से ज्यादा कमजोर होती है ऐसे में आत्माएं कमजोर दिल वाले व्यक्तियों पर आसानी से हावी हो जाती हैं।

यही कारण है कि महिलाओं को शमशान घाट नहीं लेकर जाया जाता। एक कारण यह भी बताया गया है कि दाह संस्कार के वक्त कुछ ऐसी क्रियाएं शव के साथ की जाती है, जिसे महिलाएं नहीं देख सकती कभी-कभी मृतक का जलता शरीर अकड़ जाता है और सीधा खड़ा हो जाता है।

ऐसा दृश्य देखने पर लोगों की रूह कांप जाती है जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य को हानि भी पहुंच सकती है। हालांकि पुरुष मानसिक रूप से ज्यादा ताकतवर होते हैं और वह इस दृश्य को आसानी से संभाल लेते हैं।

गरुड़ पुराण में लिखा है इस मान्यता का करण

गरुड़ पुराण हमारे हिंदू धर्म का एक पवित्र महापुराण है। गरुड़ पुराण की ये मान्यता है, की मृत्यु के बाद शव को पुरुषों के द्वारा दाहसंस्कार के लिए श्मशान घाट लेकर जाया जाता है, उस वक्त घर की साफ सफाई, घर को धार्मिक रूप से स्वच्छ करने की जिम्मेदारी पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा अच्छे से कर पाती है यही कारण है की महिलाएं शमशान घाट नहीं जाती है।

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