किन्नर सिर्फ एक रात के लिए क्यों करते हैं शादी? फिर अगले दिन मनाते हैं शोक, जानें- इसके पीछे की वजह…

Kinnar Rituals : हिंदू धर्म में महिलाएं अपने मांग में सिंदूर भर कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं विवाह के समय पति अपनी पत्नी की मांग में सिंदूर भरता है, और पत्नी आजीवन अपने पति के नाम का सिंदूर लगाती है। एक धर्म या एक लिंग ऐसा भी है जो शादी तो करती है और अपने मांग में सिंदूर भी लगाती है।

लेकिन शादी के दूसरे दिन ही वह विधवाओं की तरह शोक मानती है, हम बात कर रहे हैं किन्नरों की, किन्नर अपनी मांग में सिंदूर भरती है। लेकिन सवाल उठता है कि उनसे शादी कौन करता है? आखिर वह सिंदूर किसके नाम का लगती है?आईए जानते हैं इस रहस्य के पीछे की कहानी जिसका कारण महाभारत से जुड़ा हुआ है।

किन्नर लगती है किसके नाम का सिंदूर

आपने कभी ना कभी किन्नरों को मांग में सिंदूर लगाए हुए तो जरूर देखा होगा, और आपके मन में यह सवाल भी जरूर आया होगा कि आखिर यह किन्नर सिंदूर क्यों लगती है? क्या किसी ने इनसे शादी की है? तो आपको बता दे की किन्नर एक दिन के लिए अपने ही देवता इरावन से शादी करते है, और यह भी माना जाता है की शादी के अगले ही दिन किन्नरों के देवता इरावन की मृत्यु हो जाती है। जिसकी वजह से उनसे शादी करने वाली किन्नर विधवा हो जाती हैं. इसलिए किन्नर अपनी शादी के अगले दिन शोक मनाती हैं। यह किन्नरों की परंपरा है जिसका पालन हर किन्नर करते हैं।

इरावन है अर्जुन के पुत्र

पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने युद्ध में विजय के लिए मां काली की पूजा की थी। इस पूजा में एक राजकुमार की बलि देना था ऐसे में अर्जुन और नागकन्या उलूपी की संतान इरावन ने बली के लिए खुद को समर्पित कर दिया।

लेकिन उनकी एक इच्छा थी कि वह अविवाहित नहीं मरना चाहते. इसी इच्छा को पूरी करने के लिए श्री कृष्ण ने मोहिनी रूप धरा और इरावन से शादी की और अगले ही दिन इरावन की बलि दे दी गई। इरावन की मृत्यु के बाद श्री कृष्ण ने मोहिनी रूप में ही विलाप किया था. इसके बाद से ही हर किन्नर इरावन को अपना देवता मानने लगे और उनसे शादी करके विवाह के दूसरे दिन विधवा बनाकर विलाप भी करते हैं।

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