पहाड़ों में ही आखिर क्यों फटते जाते हैं बादल? क्या है इसका संकेत.. सबकुछ जानिए विस्तार से –

डेस्क : बादल फटने की घटनाएं बारिश के दिनों में आए दिन सामने आती हैं। जो कि बड़े त्रासदी की वजह बनता है। कश्मीर में बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा के पास बादल फटा है, जिसकी वजह से कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई है। वहीं, 40 से ज्यादा लोग लापता हो हैं। आपको बता दें कि इससे पहले हिमाचल के कुल्लू में बादल फटा था। अक्सर ही उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाएं सामने आती हैं। बादल फटने का खतरा पर्वतीय राज्यों में हमेशा बना रहता है। आखिर क्यों फटते हैं बादल और क्यों आसमान से बरसती है आफत? आइए जानते हैं –

जब भी किसी क्षेत्र विशेष में एक सीमा से कहीं अधिक मूसलाधार बारिश होती है तो इस घटना को बादल का फटना कहते हैं। सामान्य तौर पर यदि किसी जगह पर एक घंटे में 10 सेंटीमीटर से अधिक बारिश होने लगती है तो यह घटना बादल का फटना कहलाती है। उस जगह पर बादल फटने की वजह से बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं। ऐसी घटनाएं पहाड़ी जगहों पर जानलेवा साबित होती हैं। वहीं, मैदानी भागों में बादल के फटने की घटना असामान्य है और इसका व्यापक असर नहीं पड़ता है।

जब एक ही जगह अधिक नमी वाले बादल स्थिर हो जाते हैं और वहां मौजूद पानी की बूंदे आपस में मिलने लगती हैं, तब अचानक से भयंकर बारिश होने लगती है। बादल की बूंदों के मिलने की वजह से इनका भार काफ़ी बढ़ जाता है और बादल का घनत्व बढ़ जाता है। जिस भी जगह पर बादल फटते हैं, बारिश की रफ्तार वहां बेहद तेज होती है।

आपको बताते चलें कि मैदानी भागों में बादल का फटना बेहद असामान्य है। अगर पहाड़ी जगहों पर बादल फटें तो त्रासदी भी आ सकती है लेकिन मैदानी भागों में नहीं। त्रासदी के लिए पहाड़ों की संरचनाएं भी जिम्मेदार होती हैं। हालांकि, गर्म हवा का झोंका भी यदि बादलों की तरफ मुड़ जाएं तो भी बादल फट सकते हैं। ऐसी घटनाएं मैदानी इलाकों में हो सकती है।