सरकारी और प्राइवेट बैंकों में क्या है अंतर, जानें कौन है ज्यादा सुरक्षित

न्यूज डेस्क : देश में बैंकिंग सुविधा आज के समय में एक महत्वपूर्ण रोल अदा कर रहा है। हर नागरिक के पास बैंक खाता होना आवश्यक है। किसी भी लेनदेन या सरकारी सुविधाओं के लिए बैंक खाता का हो ना जरूरी हो जाता है ऐसे में यदि अब तक आपने बैंक अकाउंट नहीं खोला है तो जल्द खुलवा लीजिए। देश में दो तरह के बैंक सेक्टर हैं। एक प्राइवेट सेक्टर दूसरा गवर्नमेंट सेक्टर है। अब आपके मन में कई बार यह ख्याल आया होगा कि सरकारी और प्राइवेट में बैंक में क्या अंतर है तो आइए आज हम आपके इस दुविधा को दूर करें।

बैंक प्राइवेट है या सरकारी सभी आरबीआई के देखरेख में चलता है। आरबीआई को बैंकों का राजा भी कहा जाता है। सभी बैंक के खाते आरबीआई की निगरानी में ऐड किया जाता है वहीं बात करें प्राइवेट और सरकारी बैंक की तो दोनों कई मामलों में सेम है। लेकिन हिस्सेदारी के मामलों में दोनों का अलग-अलग हिसाब किताब है। जहां निजी बैंकों को एक कोई समूह और उसकी कुछ शेयर पब्लिक के पास भी होते हैं। यानी एक समूह और शेयर धारक मिलकर चलाते हैं। वहीं सरकारी बैंकों में सरकार की 50 से अधिक हिस्सेदारी होती है।

अब आप सोच रहे होंगे कि दोनों में से सबसे अधिक सुरक्षित कौन सा बैंक है तो सुरक्षित की बात करें दोनों ही बैंक अपनी-अपनी जगह पर सुरक्षित माना जाता है। दोनों को चलाने का तरीका भी लगभग एक है। लेकिन सरकारी बैंक सरकार चलाती है ऐसे में लोगों का विश्वास इस पर अधिक होता है। सरकार अपने ग्राहकों के पैसों की जवाबदेही खुद देता है। वहीं निजी बैंकों के प्रति लोगों का विश्वास अभी नहीं बन पाया है।

वहीं प्राइवेट बैंक और सरकारी बैंक के मैनेजमेंट में अंतर देखा जा सकता है। निजी बैंक अपनी मैनेजमेंट के हिसाब से चलता है। इसमें सरकार किसी प्रकार से दखल नहीं देती। वहीं सरकारी बैंक में सरकार दखल देने के अधिकारी होते हैं। ऐसे में मैनेजमेंट को लेकर कुछ अंतर देखा जा सकता है। वहीं सरकारी बैंक में एक और फायदा है। इसमें बैलेंस कम मेंटेन करना होता है। वहीं प्राइवेट बैंकों में मेंटेनेंस चार्ज काफी अधिक रहता है। कई निजी बैंकों में तो हमेशा 5000 रूपये खाते में रखना पड़ता है।