What is ‘Sangam Nose’ in Maha Kumbh? उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ 2025 में बीते बुधवार को मौनी अमावस्या के दिन ‘संगम नोज क्षेत्र’ में स्नान करने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने से यहां भगदड़ मच गई, जिसमें करीब 30 श्रद्धालुओं की दबकर मौत हो गई. जबकि, 60 से ज्यादा श्रद्धालु घायल हुए हैं….
बताया जा रहा है कि मौनी अमावस्या की रात करीब 1 बजे बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ ‘संगम नोज क्षेत्र’ की ओर बढ़ी. जबकि, वहां पहले से हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे और स्नान के लिए मुहूर्त का इंतजार कर रहे थे, तभी दूसरी तरफ से आई भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़ दी और कूदकर भागने लगे इससे भगदड़ मच गई और रास्ते में सो रहे श्रद्धालुओं पर भीड़ चढ़ गई….
अब ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल तो जरूर उठ रहा होगा आखिर प्रयागराज के महाकुंभ में ये ‘संगम नोज क्षेत्र’ क्या होता है? जहां स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ बढ़ रही है. तो चलिए आज के इस आर्टिकल में आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं….
‘संगम नोज क्षेत्र’ क्या है
आपको बता दें कि प्रयागराज के महाकुंभ में ‘संगम नोज क्षेत्र’ वह जगह है. जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का मिलन होता है. हालांकि, सरस्वती नदी विलुप्त हो चुकी है. जब गंगा और यमुना नदी का संगम होता है, तो त्रिकोण बनता है. ये नोक यानी नाक की तरह दिखाई देता है. यही वजह है कि अंग्रेजी शब्द Nose का इस्तेमाल किया गया है और इसे ‘संगम नोज क्षेत्र’ कहा जाता है. यहां उत्तर से गंगा की धारा और दक्षिण से यमुना की धारा का मिलन होता है, यहां गंगा का पानी हल्का मटमैला दिखता है. जबकि, यमुना का पानी हल्का नीला दिखता है. यही से यमुना नदी गंगा में विलीन हो जाती है…..
अब सवाल ये उठता है कि प्रयागराज के महाकुंभ में “संगम नोज क्षेत्र” पर जाने की इतनी होड़ क्यों मची है? तो आपको बता दें की ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन “संगम नोज क्षेत्र” पर अमृत स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जन्म-पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. एक मान्यता यह भी है कि मौनी अमावस्या के दिन “संगम नोज क्षेत्र” पर पानी नहीं…अमृत का प्रवाह हो रहा होता है. इसलिए, उस अवसर पर वहां स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं…..