डेस्क : दुनियां भर में काफी सारे ऐसे लोग हैं जो रोजाना रेल के सफर को इंज्यॉय करते हैं. रेलवे भारत में लगभग हर किसी की दैनिक जीवनचर्या का एक मबत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है. यदि आप भी रेलवे से सफर करने वालों में से हैं तो आपने गौर किया होगा कि रेलवे की पटरियों के किनारे एक पीले रंग की बोर्ड लगी होती है, जिसपर W/L लिखा होता है।
यदि इसे देखकर आपके मन में भी यह सवाल उठता है कि इन बोर्ड पर लिखे W/L का मतलब क्या है, क्यों लिखा होता है? यदि आपको नहीं पता तो आज हम बताने जा रहे हैं इसका जवाब। ये बोर्ड अक्सर क्रासिंग के अगल-बगल गुजरते समय दिखाई पड़ती है. इस W/L का फुलफार्म Whistle/Level Board होता है जरेल की पटरियों के दोनो ओर लगाया जाता है. यह बोर्ड सुरक्षा के उद्देश्य से लगाया जाता है.
यह लोको पायलट को अलर्ट करने का काम करता है, जिससे किसी भी तरह की होने वाली दुर्घटना से सावधान किया जा सके. आइए जानते है पूरी जानकारी- भारतीय रेलबृवे की ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार,यह बोर्ड जहां पर मैन और अनमैन की क्रॉसिंग होती है वैसे जगह पर लगाया जाता है. यब क्रॉसिग से 600 मीटर पहले लगाया जाता है जो लोको पायलट को हॉर्न देने के लिए अलर्ट करता है. इससे होकर गुजरने पर लोको पायलट को हॉर्न देना पड़ता है जो कि अनिवार्य है. यह बोर्ड पीने रंग का होता है जिसपर काले रंग से W/L लिखा होता है.
यह दूर से ही दिख जाता है जिसे देखने के बाद लोको पायलट हॉर्न बजाकर क्रॉसिंग गेट के पास खड़े लोगों को सावधानी बरतने के लिए संकेत देते हैं. ताकि कोई भी दुर्घटना घटने से बचाया जा सके. रेलवे नियम के अनुसार यह जमीन से लगभग 2100mm की ऊंचाई पर लगाए जाते हैं. यहां दो बोर्ड लगाए जाते हैं. एक में हिन्दी में लिखी होता है और दूसरे बोर्ड पर अंग्रेजी में लिखा होता है. इन दोनों बोर्ड का क्षेत्रफल 600 वर्ग किलोमीटर का होता है, जिसे वर्टिकल रूप में लगाया जाता है. जहां अंग्रेजी में W/L लिखा होता है, वहीं हिन्दी में सी/फ लिखा होता है. सी का मतलब सीटी बजाने से होता है और फ का मतलब फाटक होता है. आपको बता दें कि यह सवाल रेलवे से जुड़े भर्तियों के लिए साक्षात्कार में भी पूछा जाता है.