आखिर कैसे हुआ था ICE का अविष्कार? जानिए- भारत तक पहुंचने की कहानी….

डेस्क : आज आप और हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कई कामों के लिए ICE Cube का इस्तेमाल करते हैं। चोट लगने पर डॉक्टर भी बर्फ के टुकड़े लगाने की सलाह देते हैं। इसके अलावा आइस क्यूब का इस्तेमाल कई अन्य कामों में भी बड़ी मात्रा में किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बर्फ के टुकड़ों का व्यापार सबसे पहले किसने किया था? आइए आज आइस क्यूब का इतिहास जानते हैं।

बर्फ का आविष्कार सबसे पहले 1835 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक एड्रियन जीन-पियरे थिलोरियर ने किया था। इसके लिए उन्होंने Co2 यानी तरल कार्बन डाइऑक्साइड को एक कांच के बर्तन में डाला। वाष्पीकरण के बाद बर्तन में केवल सूखी बर्फ बची थी। दरअसल, कार्बन डाइऑक्साइड अति ठंडी अवस्था में ठोस हो जाती है और किसी तरल पदार्थ के साथ मिश्रित होने पर सूखी बर्फ बन जाती है।

मालूम हो कि 14 जुलाई 1850 को पहली बार मशीन से बर्फ़ जमी थी, उस समय इसका प्रदर्शन भी किया गया था। इस मशीन को अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. जॉन गैरी ने तैयार किया था। कहा जाता है कि डॉक्टर जॉन ने बुखार से पीड़ित लोगों को ठंडक पहुंचाने के लिए इस मशीन का आविष्कार किया था, इसके बाद ही रेफ्रिजरेटर के आविष्कार को गति मिल सकी.

आपको जानकर हैरानी होगी कि एक समय ऐसा भी था जब भारत अपने इस्तेमाल के लिए बर्फ भी खरीदता था। दरअसल, दुनिया में सबसे पहले बर्फ का कारोबार फ्रेडरिक ट्यूडर ने किया था। उन्हें आईसीई किंग के नाम से भी जाना जाता है। बर्फ के आविष्कार से पहले ही ट्यूडर ने प्राकृतिक बर्फ बेचना शुरू कर दिया था। उनका पहला बर्फ पैकेज 1806 में कैरेबियाई देश में भेजा गया था लेकिन यह पूरी तरह विफल रहा, क्योंकि गर्म देश अभी इसके लिए तैयार नहीं थे। इसके बाद सैमुअल ऑस्टिन ने टुडलर से बर्फ की सबसे बड़ी खेप खरीदी. सैमुअल ऑस्टिन 1833 में अपने साथ बर्फ लेकर कोलकाता पहुंचे। उस समय 100 टन बर्फ लाई गई थी, जिसके प्राथमिक खरीदार अंग्रेज थे।