क्या जिले का नाम बदलने से डॉक्यूमेंट भी बदल जाते हैं? जान लीजिए सवालों के जवाब…

भारत में पिछले कुछ सालों से लगातार कुछ जगहों पर किसी खास वजह से उसके पुराने नाम को बदला जा रहा है. जैसे की इलाहाबाद को प्रयागराज किया गया तो हाल ही में अलीगढ़ को हरिगढ़ के नाम को लेकर मंजूरी दी गई है.

अब इस नाम के बदलाव की प्रक्रिया को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठते हैं. जिसमें से कुछ सवाल आम लोगों के जीवन से भी जुड़ा होता है कि, क्या उनके पास मौजूद तमाम तरह के दस्तावेज राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड पर भी इसका प्रभाव पड़ता है तो आइए आज हम इसी बात को विस्तार से जानते हैं.

कैसे बदला जाता है किसी जिले का नाम ?

बता दें कि, किसी भी जिले, गांव, शहर या कस्बे का नाम बदलने के लिए कैबिनेट से मंजूरी ली जाती है. अगर कैबिनेट की बैठक में इस बात को लेकर मंजूरी मिल जाती है तो इस मंजूरी पर काम करने के लिए आगे बढ़ा दिया जाता है. हालांकि, कैबिनेट से बताओ पारित होने के तुरंत बाद गजट पत्र पर उस शहर या जिले का नाम बनाया जाता है. इसकी बाद उस नाम को पब्लिकली कर दिया जाता है.

दस्तावेजों पर पड़ता है प्रभाव ?

इसे आप इस भाषा में समझे कि, जब आप किसी ऐसे परिवार में रहते हैं. जिसके मुखिया का नाम लंबे समय से लोगों के जुबान पर है. लेकिन किसी कारण वश उस मुखिया का निधन तो जाता है तो उसके बाद की मुखिया के नाम से लोग आपके हर को जानते हैं. तो इस तरह अगर आपके मन में भी कोई सवाल आ रहा है तो आप बिल्कुल गलत है. क्योंकि आपके जिले के नए नाम और दस्तावेजों पर पुराने नाम को लेकर कोई बदलाव नहीं किया जाता है.

क्या होते हैं नए बदलवा ?

  • किसी जिले के नाम बदलने के बाद सरकार द्वारा जो भी नए दस्तावेज जारी किए जाते हैं उन पर नया नाम प्रिंट किया जाता है.
  • उदाहरण के तौर पर इलाहाबाद को प्रयागराज किया गया तो अब आने वाले दस्तावेज को प्रयागराज के नाम से जाना जाता है.
  • शहर के नाम में हुए बदलाव की वजह से उसके नजदीकी रेलवे स्टेशन पर भी एक बदलाव देखने को मिलता है. जहां बोर्ड पर लगे नाम को साफ साफ बदल दिया जाता है.
  • इसकी अलावा जब आप उस स्टेशन के लिए टिकट बुक करने IRCTC की पोशाक पर जाएंगे तो आपको भी वहां पर उस नाम की जगह पर नया नाम देखने को मिलेगा.