बेटा हो तो ऐसा- सिरमौर के दृष्टिबाधित उमेश कुमार ने UPSC परीक्षा पास कर रचा इतिहास, जानिए कैसे मिली इतनी बड़ी सफलता

डेस्क : कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के सिरमौर के कोलर निवासी उमेश लबाना ने। उमेश दृष्टिबाधित होते हुए भी उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 397वा रैंक हासिल कर इतिहास रचा है। इससे पूरे हिमाचल प्रदेश खुशी के मारे फुले नहीं समा रहा है। उमेश देश के सर्वश्रेठ विश्वविद्यालयों में से एक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पीएचडी कर रहे हैं। मालूम हो कि उन्होंने अपनी कैटेगरी में टॉप किया है। उमेश लबाना ने राजनीति विज्ञान में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एमए की है।

उमेश जब शिमला में रहकर एमए करने के दौरान अपने श्रेणी में हमेशा अवल होने वाले उमेश पूर्ण रूप से दृष्टिबाधित होने के बाद भी पूरी पढ़ाई लैपटॉप के माध्यम से ही करते थे। इतना ही नहीं प्रथम सेमेस्टर सेमेस्ट में ही उन्होंने यूजीसी नेट (UGC NET) पास कर लिया था उसके बाद सेकंड सेमेस्टर में जेआरएफ (JRF) की कठिन परीक्षा भी उत्तीर्ण कर इतिहास बना दिया था। मालूम हो कि कोलर निवासी उमेश कुमार के पिता जी दलजीत सिंह पेशे से किसान हैं वहीं माता कमलेश कुमारी सेवानिवृत्त शिक्षिका हैं। उमेश कुमार की सफलता ही खबर हिमाचल ही नहीं बल्कि पूरे देश में जंगल की आग की तरह फैल गई है। बधाई देने वालों की लाइन तांता लगा हुआ है। उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष और राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि उमेश अधिक मेधावी छात्र रहा है। उन्होंने ने कहा कि एमए की कक्षा में प्रोफेसरों का लेक्चर सुनने के साथ ही वह लैपटॉप पर नोट्स तैयार कर लेता था।

बतादें कि दृष्टिबाधित व्यक्ति टॉकिंग सॉफ्टवेयर के माध्यम से कंप्यूटर के साथ-साथ सोशल मीडिया का पूरा उपयोग करते हैं। प्रो. अजय श्रीवास्तव ने उमेश कुमार को बधाई देते हुए कहा है कि उनके इस कामयाबी से हिमाचल प्रदेश सहित पूरे भारत के दृष्टिबाधित एवं अन्य दिव्यांग युवाओं का हिमत बढ़ेगा और इससे वे भी समाज का नाम रोशन करने के लिए प्रेरित होंगे।