हफ्ते में 4 दिन काम… 3 दिन आराम, जानिए-० कहां मिल रहा इस नौकरी का ऑफर?

New Idea : अगर आपको मौका मिले एक हफ्ते में 4 दिन काम करके आपको 3 दिन छुट्टी मिले तो आप जरूर खुशी से उछल पडेगे। अब इसी तरह का एक लेबर कोड भारत में लेकर आने के लिए तैयार है जिसके लिए सालो से ड्राफ्ट बनकर तैयार किया जा चुका है लेकिन इसे लागू करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है।

इसके अलावा सरकार एक हफ्ते में 70 घंटे काम करने वाले लोगों को हफ्ते में दो वीकेंड देने के बारे में भी विचार कर रहा है। लेकिन हम मंदी की मुश्किलों का सामना करते हुए जर्मनी के एक नए प्रयोग को भारतीयों कर्मचारियों के कामकाजी दिन में कमी लाने का प्रयास किया जाएगा।

दरअसल, अपनी सुस्त अर्थव्यवस्था (Economy) में जान फूंकने के लिए जर्मनी (Germany) ने एक बड़ा परीक्षण करने का फैसला किया है। इस तरह से कर्मचारियों के काम काम करने की खूबियों का पता लगाया जाएगा। इस दौरान जर्मनी में 1 फरवरी से अगले 6 महीने तक 45 कंपनियों में हर कर्मचारी हफ्ते में चार ही दिन काम करेंगे।

4 दिन का हफ्ता घटायेगा कंपनी का खर्च

चार कंपनियों में से अधिकतर का ऐसा मानना है कि अगर कर्मचारी 5 दिन की वजह चार दिन में अपने हफ्ते का काम पूरा कर लेंगे तोकंपनी का खर्च बचाने में मदद मिलेगी। इससे कर्मचारियों का स्किल डेवलपमेंट भी होगा।

इस स्टडी से पता लगाना है कि कर्मचारी कम दिनों में शारीरिक और मानसिक रूप से दुरुस्त है कि नहीं? लेबर यूनियनों का मानना है कि काम के दिन घटाने से कर्मचारी खुश भी रहेंगे और उनकी प्रॉडक्टिविटी में भी इजाफा होगा।

जर्मनी में कर्मचारियों की संख्या में आई कमी

एक रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी में कई कंपनियां ऐसी है जिनमें कर्मचारियों की कमी हो चुकी है और वहाँ बड़ी-बड़ी कंपनियों में कर्मचारियों की कमी है। सॉफ्टवेयर दिग्गज एसएपी एसई ने 2022 में आवेदकों से यूनिवर्सिटी की डिग्री मांगना बंद कर दिया था। इसके अलावा अनुमान लगाया जा रहा है कि 2035 तक 70 लाख जर्मन लेबर फोर्स छोड़ सकते है। इसका कारण जर्मन लेबर बुजुर्ग हो रही है और जन्म दर में कमी आ रही है।

क्यों है जर्मनी के लिए 4 वीक डे जरूरी?

जर्मनी की कंपनियों में पहले ही कर्मचारियों की संख्या में कमी है। एक स्टडी में पता चला है कि ग्लोबल इकोनॉमी को नाराज कर्मचारियों की वजह से 2023 में 8.8 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। ऐसी स्थिति में अगर नाराज कर्मचारियों की संख्या बढ़ती गई तो बाद में कामकाजी लोगों को संभालना मुश्किल होगा।

इसलिए जो लोग 4 वीक डे की वकालत कर रहे हैं उनका कहना है कि इस तरह से जर्मनी में लेबर फोर्स का भरोसा अधिक होगा और वह काम पर लौटेंगे। जर्मनी को स्थाई कर्मचारियों की जरूरत है क्योंकि वहां पर ज्यादातर कर्मचारी EU में पार्ट टाइम में काम कर रहे हैं। जर्मनी का यूरोप में सबसे ज्यादा आउटपुट है लेकिन इनोवेशन और डिजिटाइजेशन में निवेश घटने से प्रॉडक्टिविटी में बढ़ोतरी नहीं हो रही है।