2000 के नोट के कोने में क्यों बनाई जाती है काली लाइन्स, क्या है इसके पीछे की वजह ?

डेस्क : भारतीय करेंसी में अलग-अलग नोटों में अलग-अलग सिक्योरिटी फीचर्स ऐड किया गया है। जिसके तहत या पता लगाया जा सकता है कि नोट असली है या नकली। नोट को बनाने के लिए खास किस्म की इंक और प्रिंटिंग का इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी वजह से यह नोट सामान्य कागजों से अलग होते हैं। किसी से नोट लेते समय कई सारी बातों का ध्यान रखा जाता है, लेकिन क्या आपने कभी इनपर काले रंग की लाइनों पर ध्यान दिया है?

ये लाइनें नोट के बारे में काफ़ी कुछ बयां करती है। साथ ही यह सिक्योरिटी फिचर्स में भी अहम मार्क होता है। आपको बताने जा रहे हैं इन लाइन्स के बारे में कि आखिर ऐसी क्या खास बात है इन लाइंस में और क्यों इसे नोट पर बनाया जाता है।

100 रूपए से 2000 रुपए तक के नोट पर ये लाइनें बनी होती है। इन्हें खास तरह से बनाया जाता है और हर नोट पर इनलाइंस के अलग-अलग मतलब होते हैं। दरअसल, नेत्रहीन व्यक्तियों को ध्यान में रखकर इनलाइंस को बनाई जाती है, जिसे खास तरह के प्रिंटिंग से बनाए जाते हैं। इस प्रिंटिंग को आई INTAGLIO या उभरी हुई प्रिंटिंग कहते हैं। इसे हाथ में लेने पर आप पाएंगे कि यह थोड़े उभरे हुए होंगे। इससे नेत्रहीन व्यक्ति भी नोट के बारे में आसानी से पता लगा सकते हैं।

इस खास तरह की प्रिंटिंग से नोट में कई चीजें और चीज़े भी बनाई जाती है। जिसमें महात्मा गांधी की फोटो, काले रंग की लाइने, आईडेंटिफिकेशन मार्क, अशोक स्तंभ आदि भी शामिल है। ये काली लाइन्स भी इस विशेष प्रिंटिंग के द्वारा ही बनी होती है। जिसे हाथ लगाकर गिना जा सकता है और पता लगाया जा सकता है कि कितने रुपए का नोट है। आपको बता दें कि ये लाइंस टेढ़ी होती है जो नोट के आख़िरी में बनी हुई होती है।

100 रुपए के नोट में दो – दो के सेट में 4 लाइनें बनी होती है। 200 रूपये के नोट में भी चार लाइनें ही होती हैं, लेकिन दो – दो के सेट में बनी लाइनों के बीच बिंदु भी होते हैं। जिससे पता चल जाता है कि यह 200 रूपये का नोट है। 500 रूपये के नोट में दो – एक – दो के सेट में 5 लाइनें बनी होती हैं। वहीं 2000 रुपए के नोट पर एक -दो -एक -दो -एक के सेट में 7 लाइंस बनी हुई होती हैं।

बात करें मौजूदा नोटों की तो 1, 2, 5, 10, 20, 50 ,100, 200 500 और 2000 के नोट चलन में है। साल 2016 में हुई नोटबंदी के बाद से 1000 के नोट चलन के बाहर हो गए थे। साल 1956 से रिजर्व बैंक करेंसी नोट छापने के लिए मिनिमम रिजर्व सिस्टम के तहत छपाई करता है। जिसके मुताबिक, करेंसी नोट प्रिंटिंग के विरुद्ध न्यूनतम 200 करोड़ रुपए का रिजर्व रखना हमेशा ही जरूरी है। तभी रिजर्व बैंक करेंसी नोट प्रिंट कर सकता है।