कमरतोड़ महंगाई ने खड़ी की मुसीबतें ! फिर से बढ़ेंगे सरसों तेल के भाव, जानिए – क्या होगा नया रेट?

डेस्क : भारतीय लोगों के रसोई का बजट धीरे-धीरे बिगड़ता जा रहा है। क्योंकि महंगाई इस कदर बढ़ रही है कि गरीब लोग अब आधे पेट खाकर जीने को मजबूर हो रहे है। रसोई गैस के दाम से लेकर सरसों के तेल, रिफाइंड तेल अरहर का दाल सहित कई चीजों के दाम में लगातार इजाफा हो रहा है।

इसी बीच पाम आयल के आयात का प्रतिबंध लगने का असर अब सरसों तेल पर भी दिखने लगा है। आपको बता दे की पिछले दो सप्ताह में पीली व काली सरसों के भाव में 250 से 300 रुपये प्रति क्विटल का इजाफा हुआ है। थोक विक्रेताओं की माने तो आने वाले समय में कीमतों में और इजाफा होने की पूरी संभावना बनी हुई है। दो सप्ताह पहले तक काली सरसों थोक बाजार में 6400-6500 रुपये प्रति क्विटल बिक रही थी।

जो अब 6700-6800 रुपये प्रति क्विटल बिक रही है। वही, पीली सरसों का भाव 8100-8200 रुपये प्रति क्विटल तक था। जो बढ़कर 8500 हो गया है। एक्सपर्ट बताते हैं कि एक सप्ताह में तेल के टीन पर 25 से 30 रुपये का इजाफा हो गया है। वही, सरसों की फसल कटे हुए एक माह से ज्यादा का वक्त हो चला है। लेकिन इस बार सीजन में भी सरसों का भाव ज्यादा कम नहीं हुआ। जिन किसानों ने सरसों की फसल बोई थी, उनके मंडी में सरसों का अच्छा भाव मिला। हालांकि, जिन किसानों की आर्थिक हालत ठीक नहीं है, उन्होंने तो फसल उठने के तुरंत बाद बेच दी थी।

लेकिन जिन किसानों की आर्थिक हालत ठीक है, उन्होंने सरसों का स्टाक कर लिया है। वे भाव में और इजाफा होने का इंतजार कर रहे हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि इंडोनेशिया ने कई कारणों के चलते 28 अप्रैल को पाम आयल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। जबकि, सस्ता होने के कारण तेल निर्माता कंपनी खाद्य तेलों में पाम आयल की मिलावट भी बड़े मात्रा में करती हैं। इसी कारण खाद्य तेलों की कीमतें काफी हद तक नियंत्रण में भी रहती हैं। तेल की अपेक्षा रिफाइंड के सस्ता होने का भी यही कारण है। लेकिन अब आयात पर प्रतिबंध लगने से आने वाले समय में सरसों के तेल के भाव में भी और इजाफा होना तय है।