डेस्क: दिवाली एक ऐसा त्योहार जब लगभग सभी ही ज्वैलरी खरीदते हैं। ऐसे में इस सीजन में त्योहारी सीजन में सोने (Gold) की डिमांड भी बढ़ जाती है। इस समय सर्राफा बाजारों (Bullion Markets) में उमड़ी भीड़ इस बात का सबसे बड़ा सबूत है। वैसे तो दिवाली बीत गई है, पर धनतेरस (Dhanteras) और दिवाली (Diwali) के मौके पर सोना या चांदी खरीदना शुभ होता है।
यदि आप भी इस दौरान सोना खरीदने वाले हैं या खरीद चुके हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। आपको ये देखना होगा की मसलन सोने की शुद्धता, बिल, मोल-भाव, सोने का करेंट रेट, के साथ साथ 18 कैरेट गोल्ड के लिए 22 कैरेट का दाम तो आपसे नहीं वसूले जा रहे। मालूम हो पक्का बिल आपके सोने की खरीदारी का एक रिकॉर्ड होता है। साथ ही यह शुद्धता का प्रतीक के साथ सभी टैक्स संबंधी मामलों में भी आपकी मदद करता है।
वैधता का प्रमाण
बता दें बिना बिल के, सोना खरीदना गैर-कानूनी व्यापार गतिविधियों को भी बढ़ावा देना माना जाता है। आपके बिल यानी इनवॉइस से जौहरी से शुद्धता और मूल्य का एक खास जेवर खरीदने का पता चलता है।
खरीदारी का उचित मूल्य
बता दें उपयुक्त इनवॉइस में मेकिंग चार्ज शुल्क, सोने की कीमत और आपके द्वारा चुकाया गया जीएसटी भी लिखा रहता है। इन विवरणों के अभाव में आपसे आपकी खरीदारी की ज्यादा कीमत वसूली जा सकती है।
- इन बातों का रखें ध्यान
- हॉलमार्क
- मेकिंग चार्जेस पर मोलभाव
- कीमतों पर रखें नजर
- बिल
- साथ ही वजन जांचना न भूलें
वैध स्वामित्व न होने से क्या होगा
दिसंबर 2016 में भारत सरकार ने बरामदगी और तलाशी के दौरान मिलने वाली अघोषित प्रॉपर्टी मिलने पर जुर्माना लगा दिया है। यानी जहां विरासत में मिले उन जेवरों के लिए कोई सीमा-रेखा नहीं है जिनका हिसाब आपके पास है, वहीं बिना हिसाब वाले जेवरों की सीमा पार होने पर जुर्माने का भुगतान करना होगा। और यदि आपके पास प्रमाण नहीं है तो सीमा से अधिक सोने के लिए 60 फीसद तक जुर्माना और 25 फीसद का सरचार्ज लग सकता है।