‘कचरा सेठ’ की तस्वीर को कचरे के डब्बे में फेंक देते थे डायरेक्टर- आज बसता है लोगों के दिलों में उनका चेहरा

मनोज जोशी फिल्म इंडस्ट्री का एक ऐसा चेहरा है, जिसे किसी भी रुप और आकार में किसी भी किरदार के लिए तराशा जा सकता है। अपने 24 साल के कैरियर में उन्होंने 120 से अधिक फिल्में की है जिसमें नेगेटिव से लेकर कॉमेडी रोल में उन्हें देखा गया। उन्हें हर क़िरदार में लोगों ने पासंद किया। लेकिन उनका जीवन भी संघर्षों से भरा रहा है। जरूरत पड़ने पर मनोज जोशी ने बेढंगे और बेवकूफाना रोल भी निभाए हैं। इसका ज़िक्र एक्टर ने कुछ साल पहले अपने एक इंटरव्यू में किया था।

उन्होने कहा कि अपने सफ़र में उन्होंने कई तरह के रोल प्ले किए हैं। लेकिन खुशी इस बात की है कि वह टाइप कास्ट होने से बच गए। उन्होंने बताया कि मुश्किल तब होने लगी जब कैरेक्टर आर्टिस्ट का तमगा उन्हें थमा दिया गया और कोई और रोल उन्हें नहीं मिलता था। अब वह कोई स्टार किड नहीं थे, जिन्हें आसानी से फिल्में मिल जाती। बड़े ही पापड़ बेलने पड़े हैं। कई बार मन दुखी हो जाता था लेकिन फिर वे हिम्मत नहीं हारे। अपना पोर्टफोलियो और तस्वीरें लेकर दिन भर एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो जाकर खाक छानते रहते थे। ऐसा भी नहीं था कि कोई देखता नहीं था, लेकिन देखकर तस्वीर कूड़े के डब्बे में फेंक देता था। साल 2019 में हिंदुस्तान टाइम्स को दिए अपने इंटरव्यू में मनोज जोशी ने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि जिस तरह से डायरेक्टर उनकी तस्वीर को देखते थे, उन्हें देखकर अंदाजा हो जाता था कि यहां उन्हें काम नहीं मिलेगा। उनके साथ है घटना घटी जिसके बाद उन्होंने सोच लिया कि वह कभी पोर्टफोलियो शूट नहीं करवाएंगे।

उन्होंने बताया कि जब उन्होंने एक बार अपना पोर्टफोलियो तस्वीरें एक डायरेक्टर को दिखाई तो उनके सामने ही उन्होंने डस्टबिन में फेंक दिया। उस समय उनका विश्वास भी डगमगा गया और उन्हें बेइजती भी महसूस हुई। वैसे भी उस समय पैसों की तंगी थी और एक – एक फोटो आठ रुपए के होते थे। पोर्टफोलियो बनवाने में ही काफ़ी रुपए खर्च हो जाते थे। इसके बाद उन्होंने एक तरकीब निकाली। वे जब भी और जहां भी ऑडिशन देने जाते बिना पोर्टफोलियो के ही जाने लगे।

इतनी बेइजती और अपमान सहने के बाद उन्होंने सोच लिया था कि अब वह थिएटर में ही काम करेंगे, फ़िल्मों में नहीं जाएंगे। वह एक थिएटर कलाकार थे और थिएटर में ही बस गए, लेकिन एक दिन इस थिएटर ने उनकी जिंदगी बदल दी। वह एक नाटक में काम कर रहे थे तभी सरफरोश के डायरेक्टर जॉन मैथ्यू की नज़र उनपर पड़ी और एक महत्त्वपूर्ण रोल के लिए उन्हें साइन कर लिया। आने वाले समय में मनोज जोशी ने आगाज, चांदनी बार, देवदास, ऑन: मैन एट वर्क, हलचल, गरम मसाला, चुप चुप के, विवाह, भूल भुलैया और भागम भाग जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। बिना किसी गॉड फादर के फिल्म इंडस्ट्री में। मनोज जोशी ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

लेकिन सबसे दुख की बात यह है कि किसी भी बॉलिवुड अवार्ड सेरेमनी में उनके काम को तवज्जो नहीं दी गई। जबकि फ़िल्मों में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें साल 2017 में मराठी फिल्म Dashakriya के लिए भी नेशनल अवार्ड मिला। लेकिन यह बड़े हैरानी की बात है कि कोई भी बॉलिवुड अवॉर्ड उन्हें नहीं मिला। उनका दर्द भी इसे लेकर छलका। उन्होंने कहा कि 120 फ़िल्मों में वह काम कर चुके हैं। फिर वह बालीवुड का हिस्सा कैसे नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे पान मसाला वाले अवार्ड की नहीं पड़ी है। मुझे नॉमिनेशन मिले या ना मिले, पद्म श्री पुरस्कार से बड़ा तो नहीं?